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सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्रे
एके पुनरेवमाहुः ४ । एके-चतुर्थाः पुनः त्रयाणां मतं श्रुत्वा एवम् अनन्तरोच्यमान प्रकारकं स्वाभिप्रायमाहुः - एवमाचक्षते । 'ता सत्तदीवे सत्तसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासेंति उज्जोवेंति तवेंति पगासैति, 'एगे एवमाहंसु ४' तावत् सप्तद्वीपान् सप्तसमुद्रान् चन्द्रसूर्यौ अवभासयतः उद्योतयतः प्रकाशयतः - एके एवमाहुः ४ ॥ - तावदिति पूर्ववत्, चारं चरन्तौ चन्द्रसूर्यौ सप्तद्वीपान् सप्तसमुद्रान् अवभासयत उद्योतयत स्तापयतः - प्रकाशयतः - एके चतुर्था एव मनन्तरोक्तं स्वतंव्यमाचक्षते ४ || 'एगे पुण एवमाहंसु ५' एके - पञ्चमास्तीर्थान्तरीयाः, पुनः - चतुर्णां मतश्रवणानन्तरमेवं वक्ष्यमाणस्वरूपं स्वाभिप्रायमभिदधति - 'ता दसदीवे दससमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासेति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति, एगे एवमाहंसु ५' तावत् दशद्वीपान् दशसमुद्वान् चन्द्रसूर्यौ अवभासयतः उद्योतयत स्तापयतः प्रकाशयतः, -एके एवमाहुः ५ ॥ - तावदिति कथित प्रकार से अपने मत के विषय में कहते हैं || ३ || 'एगे पुण एवमाहंसु' ४ कोइ चतुर्थ मतवादी पूर्वोक्त तीनों परमतवादीयों के मत को सुन करके अनन्तर कथ्यमान प्रकार से अपने मत के विषय में कथन करता है 'ता सत्तदीवे सत्तसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासेंति उज्जो वेंति तवेंति पगासेंति एगे एवमाहंसु' ४ तीनों अन्य मतवालों का कथन सुनकर निम्न निर्दिष्ट प्रकार से चौथा अन्य तीर्थिक अपना मत प्रदर्शित करता हुवा कहने लगा 'ता सतदीवे सत्तसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासेंति उज्जोवेंति तवेंति पगासेंति एगे एवमाहंमु' ४ सातद्वीप एवं सातसमुद्रों को चन्द्रसूर्य अवभासित करते हैं, उद्योतित करते हैं तापित करता हैं प्रकाशित करते हैं चतुर्थमतवादी इस प्रकार अपना मत का कथन करता है ४ । 'एगे पुण एवमाहंसु' ५ कोइ एक पांचवां तीर्थान्तरीय चारों अन्य तीर्थिकों के मत को सुनकर के वक्ष्यमाण प्रकार से अपना मत प्रदर्शित करता हुवा कहता है 'ता दसदीवे दससमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासेंति, उज्जोवेंति तवेति पगासेति एगे एवमाहंसु' ५ दसद्वीपों एवं दससमुद्रों को चन्द्र
કરે છે. ત્રીજો કોઇ એક પરમતવાદી આ કહેલ પ્રકારથી પેાતાના મતના સંબધમાં કહે છે, (૩) 'एगे पुण एवमाहंसु' ४ अ यथा भतवाही उपरोक्त त्राणे मन्यतीर्थ अना भत सांलजीने नाथे उडेवामां भावनार प्रहारथी पोतानो भत प्रगट उराउ छे- 'ता सत्तदीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओमासेंति उज्जोवेति तवेंति पगासेंति एगे एवमाहंस' ४ सात દ્વીપે, અને સાત સમુદ્રોને ચંદ્ર સૂર્યાં અવભાસિત કરે છે. ઉદ્યોતિત કરે છે, તાષિત કરે छे, भने प्राशित उरे छे. याथा भतवाहीनु आ प्रभानु उथन छे. ४ 'एगे पुण एवमासु' ५ पांयम तार्थान्तरीय यारे परमतवादीयोना उथनने सांभणीने वक्ष्यमाशु अस्थी पोतानो भत प्रगट उश्ता - ( ता दसदीवे दस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासेंति, उज्जोवेंति, तवेंति, पगासेंति एगे एवमाहंसु ) ५ इस द्वीपो ने इस समुद्रोने सूर्य चंद्र અવભાસિત કરે છે, ઉદ્યોતિત કરે છે, તાપિત કરે છે અને પ્રકાશિત કરે છે. આ પ્રમાણે
શ્રી સુર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર : ૧