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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद २३ उ. २ सू. ७ कर्मप्रकृातनिरूपणम् कतिविधं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! षविध प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-वज्रर्षभनाराच संहनननाम १, ऋषभनाराच संहनननाम २, नाराच संहनननाम ३, अर्द्धनाराच संहनननाम ४, कालिका संहनननाम ५, सेवात संहननाम ६, संस्थाननाम खलु भदन्त ! कतिविधं प्रज्ञप्तम ? गौतम ! पइविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-समचतुरस्रसंस्थाननाम १ न्यग्रोधपरिमण्डलसंस्थाननाम २ सादिसंस्थाननाम ३ वामनसंस्थाननाम ४ कुब्ज संस्थाननाम ५, हुण्ड संस्थाननाम ६, वर्णनाम खलु भदन्त ! कर्म कतिविधं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! पवविध प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-कालवर्णनाम यावत् शुक्लवर्णनाम, गन्धनाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! छबिहे पण्णते) हे गौतम ! छह प्रकार का कहा है । (तजहा) वह इस प्रकार । (वइरोसम नाराय संधयण नामे) वज्रर्षभ नाराच संहनननाम (उसहनाराय संवयणनामे) ऋषभ नाराच संहनन नाम । (नारायसंघयणनामे) नाराच संहनन नाम । (अद्धनारायसंघयणनामे अर्द्धनाराच संहनन नाम । (कीलिया संघयण नामे) कीलका संहनन नामे। (छेवस घयण नाम) सेवा संहनन नाम कम । (संठणनामे णं भंते ! कइविहे पण्णचे ?) हे भगवन् ! संस्थान नामकर्म कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! छबिहे पण्णचे) हे गौतम ! छह प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (सम चउरंस संठाणनामे) सम चतुरस्र संस्थान नाम (निग्गोहपरिमडलसंठाण नामें) न्यग्रोध परिमंडल संस्थान नाम (साइसंठाणनामे) सादि संस्थान नाम (वामणसंठागनामे) वामन संस्थान नाम (खुजसठाणनामे) कुब्ज संस्थान नाम (हुडसंठाणनामे) हुन्डक संस्थान नामकर्म (वण्णनामे णं भते ! कम्मे कइविहे पण्णचे) हे भगवन् ! वर्ण नामकर्म कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पंचविहे पण्ण) हे गौतम ! पांच प्रकार का है (तं (संघयणनामे ण भंते ! कइविहे पणत्ते?) मान! सहनन नाम भ321 प्रारना या छ ? (गे।यमा ! छबिहे पण्णत्ते) हे गौतम! ७ प्रा२नछ (तौं जहा) ते मा प्रारे (वइरोसभनाराय संघयणनामे) द्रष मनाराय सहनन नाम (उसहनारायसंघयणनामे) ऋषभ नाराय सहनन नाम (नाराय सघयणनामे) नाराय सहनन नाम (अडुनाराय संघयणनामे) मद्धनाराय सनन नाम (कीलिया संघयणनामे) सि सहनन नाम (छेवट संघयणनामे) सेवात सहनन નામ કર્મ છે (सहाणनामे ण माते! कइविहे पण्णत्ते?) भगवन्! सस्थान नाम मारना ४या छ ? (गायमा ! छविहे पणत्ते) हे गौतम! छ प्रा२ना या छ (त जहा) ते या प्रकारे (समचतुरंसस ठाणणामे) समयतु संस्थाननाम (निग्गेोह परिमंडलस ठाणनामे) न्यग्रोध परिभात सत्यान नाम (साइ सठाणनामे) साहि संस्थान नाम (बामणस ठाणनामे) पामन सयान नाम (खुज सठाणनामे) १४ सयान नाम (डड संठाणनासे) ७४ संस्थान नाम में (वगनामे ण भंते ! कम्मे कइविहे पणत्ते) मापन! नाम भटमा पानी या छ? (गेायमा! पंचविहे पण्णत्ते) गीतम! पांय प्रारना ४था छ (त जहा कालवण्णनामे) શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
SR No.006350
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages1173
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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