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________________ बाल २३४ प्रज्ञापनासूचे गौतम! त्रिविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-औदारिकशरीरोपाङ्गनाम, वैक्रियशरीरोपाङ्गनाम, आहारकशरीरोपाङ्गनाम, शरीरबन्धननाम खलु भदन्त ! कतिविधं प्रज्ञप्तम् ? गौतम ! पञ्चविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-औदारिक शरीरबन्धननाम यावत् कार्मण शरीरबन्धननाम, शरीर संघात नाम खलु भदन्त! कतिविधं प्रज्ञप्तम्? गौतम! पञ्चविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा औदारिकशरीर संघातनाम यावद-कार्मणशरीरसंघातनाम, संहनननाम खलु भदन्त! शरीर नामकर्म यावत् कार्मणशरीर नामकर्म । (सरीरोवंगनामे ण भंते ! कइविहे पण्णत्ते) हे भगवन् शरीरोपांग नाम कितने प्रकार का है । (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! तीन प्रकार का है । (तं जहा ओरालिय सरीरोवंगणामे वेउवयसरीरोवंगणामे आहारगसरोरोवंगनामे) वह इस प्रकार-औदारिक शरीरोपांग नाम कम, वैक्रिय शरीरोपांग नाम व में और आहारक सरीरोपांग नामकर्म । __(सरीरवंधण नामेणं भंते ! कइविहे पण्णत्ते) हे भगवन् ! शरीर बंधन नामक कितने प्रकार का कहा है? (गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते तं जहा-ओरालिय सरीरबंधण नामे जाव कम्मगसरीरवंधणनामे) हे गौतम ! पांच प्रकार का कहा है। औदारिक शरीर बन्धन नाम यावत कार्मण शरीर बन्धन नाम । ___ (सरीरसंधायणामेणं भंते कइविहे पण्णते?) हे भगवन् ! शरीर संघात नाम कर्म कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! पंचविहे पण्ण) हे गौतम ! पांच प्रकार का है । (तं जहा-ओरालियसरीरसंघायणामे जाव कम्मग सरीरसंघायणामे) वह इस प्रकार-औदारिक शरीर संधात नामकर्म यावत् कार्मण शरीर संघात नामकर्म ।। (संघयण नामेण भंते ! कइविहे पण्णते ?) हे भगवन् ! संहनन नामकर्म जाव कम्मगसरीरणामे) ते॥ रे-मोहारि शरीरनाम भयावत अभए शरीरनाम में (सरीरोवंगणामे ण मंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) मापन! शरीरा५in नाम 21 रना छ? (गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते) ले गोतम ! ११ प्रारना छ (तौं जहा-ओरालियसरीरोवंगणामे वेउब्धिय (सरीरोवंगणामे, आहारगसरीरोध गणामे) ते 20 प्र३ -मोहा२ि४ शरीरापां नम भी, वैठिय સરીરાપાંગ નામ કર્મ, અને આહારક શરીર પાંગ નામ કર્મ सरीर बधणनामे ण भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन्! शरी२ धन नाम भईसा रना या छ ? (गोयमा ! पंचविहे पण त जहा-ओरालियसरीरबांधणनामे जाव कम्मण सरीर बधणनामे) गौतम! पांय २i यो छ-मोहारि४ शरी२५वन नाम यावत भए। શરીર બંધનનામ (सरीरसंघायणामे ण भते! कइविहे पण्णते?) भगवन् ! शरी२ सयातनाम मा प्रारना या छ ? (गायमा! पंचविहे पण्णत्ते) गीतम! पाय माना छ (त जहा-ओरालिय सरीरसंघायणामे कम्मगसरीरसंज्ञायणामे) ते ॥ ४॥२-महा२ि४ शरी२ सातनाम भी ચાવત કાર્માણ શરીર સંઘાત નામ કર્મ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
SR No.006350
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages1173
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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