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प्रज्ञापनासूत्र खलु भदन्त ! कर्म पृच्छा, गौतम ! विविध प्रज्ञप्तम् , तद्यथा-सुरभिगन्धनाम, दुरभिगन्धनाम, रसनाम खलु पृच्छा, गोतम ! पञ्चविध प्रज्ञप्तम्, तद्यथा--तिक्तरसनाम यावद् मधुररसनाम, स्पर्शनाम खलु पृच्छा. गौतम! अष्टविध प्रज्ञप्तम्, तद्यथाकर्कशस्पर्शनाम यावल्लघुक स्पर्शनाम, अगुरुलघुकनाम एकाकारं प्रज्ञप्तम्, उपघातनाम एकाकारं प्रज्ञप्तम्, पराघातनाम एकाकारं प्रज्ञप्तम्, आनुपूर्वीनाम चतुर्विध प्रज्ञप्तम् , तद्यथा-नैरयिकानुपूर्वीनाम यावद् देवानुपूर्वोनाम, उच्छवासनाम एकाकारं प्रज्ञप्तम्, जहा-काल वण्णनामे जाव सुक्किल्ल वणनामे) बह इस प्रकार-काल वर्ण नाम यावत् शुक्लवर्ण नामकर्म - (गंधनामे णं भते! कम्मे पुच्छा?) हे भगवन् ! गंध नामकम-स बंधी पृच्छा? (गोयमा दुविहे पण्ण) हे गौतम! दो प्रकार का कहा है (त जहा-मुरभि गंधनामे, दुरभिगंधनामे) वह इस प्रकार-सुरभि गंध नाम कम, दुरमि गंध नामकम __ (रसणामे णं पुच्छा?) रस नाम कर्म संबंधी पृच्छ ? (गोयमा! पंचविहे पण्णते, त जहा-तित्तरसनामे जाव महुररसनामे) हे गौतम! पांच प्रकार का कहा है, यथातिक्तरमनामकर्म यावत् मधुररस नामकर्म ।।
(फासनामे णं भते! पुच्छा?) स्पर्शनामकर्म संबंधी पृच्छा ? (गोयमा ! अट्ठविहे पण्ण) हे गौतम ! आठ प्रकार का कहा है (त जहा-कक्खडफासनामे जाव लहुयफासनामे) वह इस प्रकार-कर्कशस्पर्श नामकर्म यावत् लघु स्पर्श नामकर्म
(अगुरुलहुयनामे एगागारे पण्ण) अगुरु लघु नामकर्म एक प्रकार का कहा है (उपवायनामे एनागारे पण्ण) उपघात नामकर्म एक प्रकार का कहा है (पराधायनामे एगागारे पण) पराघात नामकर्म एक प्रकार का कहा हैं।
(आणुपुरिणामे च उबिहे पण्णचे) आनुपूर्वी नामकर्म चार प्रकार का कहा जाव सुस्किल्लघण्णनामे) ते या प्रकारे- नाम यात शु४८ प नाम में
(गधनामे ण भते! कम्मे पुच्छा?) भगवन! गधनाम समधी छ। (गोयमा ! दुविडे पण ते) उ गौतम! ये ना या छ (त जहा -सुरभिगधनामे, दुरभि गधनामे) ते ॥ अरे सुमनाममभिम नाम , (रसण मेणं पुच्छा!) २सनाम म समधी १७.? (गोयमा ! पंचविहे पगते, त जहा-तित्तरसनामे जाव महुररसनामे) गीतम! पाय પ્રકારના છે, જેમકે તિકતરસ નામકર્મ યાવત મધુરરસનામ કમ
(फासना ण भते ! पुच्छा ?) २५ नाम भ संस-बी छ। (गायमा ! अविहे पण्णत्ते) गौसम ! 2408 प्रारना ४था छ (त जहा-क्कखड फासनामे जाव लहुयफासनामे) त આ પ્રકારે કર્કશ નામ કર્મ યાવત્ લઘુ સ્પર્શ નામ કમ
(अगुरुलहुयनामे एकागारे पण्णत्त) पशु३ सधु नाम भये प्रा२नु ४थुछ (उचघायनामें एगागारे पण्णत्ते) G५थात नाम ४२ ४२नु पुछे. (पराघायनामें एगागारे पण्णत्ते) पराधात नामभ में प्रा२नु ज्यु छ.
(आणविणामें चविहे पण्ण) मानवी नाम भ या२ रनोधांछ (त जहा
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫