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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३६ ० ८ जीयपेदनादिसमुद्घाताल्पबहुत्यनिरूपणम् १००९ विशेषाधिका पा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः पृथिवी कायिकाः मारणान्तिकसमुद्घातेन सम वहताः, पायसमुद्घातेन समयहताः संख्येय गुणाः, वेदना समुद्घातेन समवहता विशेषा धिकाः, असमवहता असंख्येयगुणाः, एवं यावद वनस्पतिकायिकाः, नवरं सस्तोका वायुकायिका बैंक्रियसमुद्घातेन समय हताः, मारणान्तिकसमुद्घा तेन समयहता असंख्येयगुणाः, ___ (एएसि णं भते ! पुढधिकाइयाण) हे भगवन् ! इन पृथिवीकायिकों में (वेयणासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणतियसमुग्घाएणं) वेदनासमुद्घात से कषायसमुद्घात से, मारणान्तिकसमुद्घात से (समोहयाणं असमोहयाण य) समवहतों और असमवहतों में कयरे कयरेहिंतो) कौन किस से (अप्पा या बहुथा या तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा ! सव्वस्थोवा पुढविकाइया मारणतियसमग्घाएणं समोहया) हे गौतम ! सब से कम पृथिवीकायिक मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत हैं (कसायसमुग्घाएर्ण समोहया संखेजगुणा) कषायसमुदघात से समबहत संख्पात गुणा (वेयणासमुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया) वेदनासमुदघात से समबहत विशेषाधिक (असमोहया असंखेज्जगुणा) असमबहत असंख्यातगुणा हैं (एवं जाव वणस्सइकाइया) इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिक (णवरं) विशेष (सव्य त्थोवा वाउक्काइया वेउब्धियसमुग्घाएणं समोहया) सब से कम वायुकायिक चैक्रियसमुदघात से समवहत हैं (भारणंतियसमुग्याएणं समोहया असखेज्ज गुणा) मारणान्तिकसमुदघात से समवहत असंख्यात गुणा (कसायसमुग्घाएणं समोहया) कषायसमुद्घात से समवहत (संखेज्जगुणा) संख्यातगुणा (वेयणा __(एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाण) 3 14 ! मा पृथ्व. यिम (वेयणासमुः ग्याएण, कसायसमुग्घाएण, मारणंतियसमुग्घाएण) वेहुना समुधातथी, पायसभुइयातथी, भारणilas समुद्धातथी (समोहयाण असमोहयाण य) सभडता भने समतामi. (कयरे कयरेहितो) । अनाथ (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया या) ८५, અધિક, તુલ્ય અથવા વિશેષાધિક છે? (गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढविकाइया मारणंतियसमुग्घाएण समोहया) गौतम ! अपाथी माछ। 4ि: भारत समुद्धातथा समवहत छ (कसायसमुग्घाएण समो. ह्या संखेज्जगुणा) ४ाय समुद्धाती सभवहत सध्यात। (वेयणासमुग्घाएण समोहया विसेसाहिया) वहनासमुइया तथा सभपडत विशेषाधि४ (असमोहया असंखेज्जगुणा) मतभपडत अध्यात! छे. (एवं जाय वणस्सइकाइया) प्रारे यायत पन.५ तायि: (नवर) विशेष (सव्यत्थोवा याउकाइया वेउव्यियसमुग्घाएणं समोहया) मधाची सोछ। वायुय४ वैडिय सभुधातथी सभपडत (मारणंतिसमुग्घाएण समोहया असंखेज्जगुणा) भा२०i'त समुद्धातथी सभहत असभ्यातगए। (कसायसमुग्धाएण समोहया) षाय समुद्धातथी सभपत (संखे શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
SR No.006350
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages1173
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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