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________________ २०१० प्रशापनासूत्र कषायसमुद्घातेन समवहताः संख्ये यगुणाः, वेदनासमुदघातेन समवहता विशेषाधिकाः, असमबहता असंख्येयाणाः, द्वीन्द्रियाणं भदन्त ! वेदनासमुद्घातेन कषायसमुद्घातेन मारणान्तिकसमुद्घातेन समवहतानाम् असमबहतानाश्च कतरे कतरेभ्योऽल्पा या बहुका या तुल्या या विशेषाधिका या ? गौतम ! सर्यस्तोकाः द्वीन्द्रिया मारणान्तिक समुद्घातेन समयहताः, वेदनासमुदघातेन समयह ता असंख्येषगुणाः, कपायसमुद्रातेन समयहता असंख्येय. गुणाः, असमवहताः संख्येयगुणाः, एवं यावच्चतुरिन्द्रियाः, पश्चन्द्रियतिर्यग्योनिकानां भदन्त ! वेदनासमुद्घातेन कषाय समुद्घातेन मारणान्तिकसमुद्घातेन चैक्रियसमुद्घातेन समुग्घाएणं समोहया विसेसाहिया) वेदनासमुद्घात से समवहत विशेषाधिक हैं (असमोहया असंखेज्जगुणा) असमवहत असंख्यातगुणा हैं (बेइंदियाणं भंते !) हे भगवन् ! दीन्द्रियों में (बैयणासमुग्घाएणं) वेदना समुदघात से (कसायसमुग्घाएणं) कषायसमुद्घात से (मारणंतियसमुग्घाएण) मारणान्तिकसमुदघात से (समोहयाणं असमोहयाण य) समबहतों और असम वहतों में (कयरे कयरे हितो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला या चिसेसाहिया या १) अल्प, बहुत, तुल्प अथवा विशेषाधिक हैं ? (गोयमा ! सव्यस्थोवा बेइंदिया मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया) हे गौतम! सब से कम दीन्द्रिय मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत (वेयणाममुग्धाएणं समोहया असंखेनगुणा) वेदनासमुद्घात से समवहत असंख्यातगुणा (कसायसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा) कषायसमुदघात से समवहत असंख्यातगुणा (असमोहया संखेज्जगुणा) असमवहत संख्यातगुणा (एचं जाच चरिदिधा) इसी प्रकार चौदन्द्रियों तक (पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं भंते) हे भगवन् ! पंचेन्द्रिय तिर्यंचों ज्जगुणा) साता (वेयासमुग्धारण समोहया यिसेसाहिया) वेनास दूध तथा सभ स्त विशेषाधि छे (असमोहया असंखेज्जगुणा) समहत २५सयाताए। छे. (बेईदियाण भंते !) हे भगवन् ! दीन्द्रियोमा (वेयणासमुग्घाएण) वेनास धातथी कसायसमुग्घाएण) पायस यातथी (मारणेतियसमुग्घाएण) भाति समुहूयातथी (समोहयाण असमोहयाण य) समपरते। भने असमतोमा (कयरे कयरेहिंतो) । नाथी (अध्या वा बहुया वा तुला वा बिसेसाहिया वा) २५६५, ५९, तुल्य अथवा विशेषाधि छ ? (गोयमा ! सव्वत्थोवा बेइंदिया मारणंतिसमुग्घाएण समोहया) : गौतम ! पाथी सो वन्द्रिय भान्ति समुद्धा तथा समहत (वेयणासमुग्धारण समोहया असंखेन्जगुणा) वहनासमुद्धातथी समपहत सध्यातासा (कसायसमुग्धारण समोहया असंखेज्ज गुणा) ४ायस धातथा सभहत असभ्याता (असमोया असंखेज्जगुणा) असभपत असभ्यातम। (एव जाव चरिंदिया) से अरे यतुरिन्द्रिये सुधी. (पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं भंते !) हे लायन् ! पयन्द्रिय तिय"यामा (वेयणा શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૫
SR No.006350
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1980
Total Pages1173
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size76 MB
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