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________________ __ प्रज्ञापनासत्रे वियसरीरे, णो अकम्मभूमग गडसवक्कंतिय मणूसपंचिंदियबउब्धियसरीरे, णो अंतरदीवग गब्भवक्कंतिय मणूसपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे, जइ कम्मभूमग गम्भवक्कंतिय मणूस पंचिंदिय उब्वियसरीरे किं संखेजवासाउय कम्मभूमग गम्भवतिय मणूसपंदियवेउव्वियसरीरे, असंखेजवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतियम गूसपंचिंदियवेव्वियसरीरे ? गोयमा ! संखेजवासाउय कम्मभूमग गभवतिय मणूसपंचिंदिय वेउव्वियसरीरे, नो असंखेजवासाउय कम्मभूमग गब्भवक्कंतिय मणूसपंचिंदिय वेउव्वियसरीरे, जइ संखेजवासाउय कम्मभूमगगब्भवतिय मणूस पंचिंदियबेउब्वियसरीरे किं पज्जत्तगसंखेजवासाउयकम्मभूमग मणूसपंचिंदियवेउब्वियसरीरे, अपनत्तगसंखेज्जवासाउय कम्मभूमग गब्मवतिय मालपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे ? गोयमा! पज्जत्तग संखेज्जवासाउय कम्मभूमग गभवक्कंतिय मणूसपंचिंदियवउव्वियसरीरे, नो अपज्जत्तग संखेज्जवासाउय कम्मभूमगगभवक्कतिय मणूसपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे, जइ देवपंचिदिय बेउब्वियसरीरे किं भवणवासिदेव पंचिंदिय वेउब्वियसरीरे वि जाव वेमाणियदेवपंचिं. दिय वेउब्वियसरीरे गोयमा ! भवणवालि देवपंचिदिय वेउवियसरीरे वि जाव वेमाणियदेव पंचिंदियवेरवियसरीरे वि जइ भवणयासिदेव पंचिं. दियवेउब्वियसरीरे कि असुरकुमारभवणवासि देवपंचिंदियवे उब्विय. सरीरे जाव थणियकुमारभवणवासिदेव पंचिंदिय वेउठिबयसरीरे ? गोयमा ! असुरकुमार जाव थणियकुमार भवणवासि देव पंचिंदिय घेउव्वियसरीरे वि जइ असुरकुमार देव पंचिंदिय वेउव्यियसरीरे किं पज्जत्तग असुरकुमार भवणवासिदेव पंचिदिय वेउव्वियसरीरे वि, अपज्जत्तग असुरकुमार भवणवासिदेव पंचिंदिय वेउब्वियसरीरे वि, एवं जाव थणियकुमाराणं दुगओ भेदो, एवं वाणमंतराणं अट्ठविहाणं, जोइसियाणं वंचविहाणं, माणिया दुविहा-कप्पोवगा, कप्पातीया य कप्पो श्री. प्रशान। सूत्र:४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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