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________________ प्रमेयबोधिनी टोका पद २१ सू० ४ वैक्रियशरीरभेदनिरूपणम् ६५९ संखिज्जकासा इय गभवतिय पंचिादयतिरिक्खजोणिय वेउव्वियसरीरे, कि जलयरसंखेजवासाउय गब्भवस्कतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउ. व्वियसरीरे, थलयरसंखेजवासाउय बभवक्क तिथ पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउठिवयसरीरे, खहयरसंखेजवासाउथ धब्भवतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउठिवयसरीरे, गोयमा? जलयरसंखेजवासाउय गम्भव. कंतिय पंचिंदियतिरिक्ख जोणिय वेउब्वियसरीरे वि, थलथरसंखेजवासाउय गब्मवतियपंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउठिश्यसरीरे वि, खहयरसंखेजवासाउय गम्भवक्कतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउव्वियसरीरे वि, जइ जलयरसखेजवासाउय गभवतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउठिबयसरी रे किं पजत्तगजलयरसंखेजवासाय गम्भवस्कंतिय पंचिंदियतिरिक्ख जोणिय वेउब्वियसरीरे, अपजत्तगजलयरसंखेजवासाउय गब्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिवखजोगिय वेडव्वियलरीरेय ? गोयमा! पज्जत्तग. जलयर संखेज्जवासाउय गमवक्कंतियपंचिदियतिरिक्खजोणियवेव्व यसरीरे, नो अपजत्तगसंखेजवासाउय गम्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्ख जोणियवेउब्धियसरीरे, जइ थलयरपंचिंदिय जाब सरीरे किं चउप्पय जाव सरीरे किं परिसप्प जाव सरीरे ? गोयमा ! चउप्पय जाव संखेजवासाउप परिसप्प जाव सरीरे, एवं सव्वेसि णेथव्वं जाव खहयराणं पजत्ताणं, नो अपज्जत्ताणं, जइ अणूस पंचिंदिय बउब्वियसरीरे किं संमुच्छिममणूस पंचिंदिय वेव्वियसरीरे, गभवक्कंतिय मणूसपंचिंदिय बेउ. वियसरीरे ? गोयमा ! णो समुच्छिम मणूलपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे, गम्भवक्कंतिय सणूसपोचदिय वेउव्वियसरीरे, जइ गम्भवक्कंतियमणु. स्स पंचिंदिध वेउब्वियसरीरे किं कम्मभूमग गम्भवतिय मणुस्स पंचिंदिय बेउब्वियसरीरे, अम्मभूमग गभवतिय मणूसपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे, अंतरदोबगगम्भवतिय मणूसपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे ? गोयमा ! कम्मभूमगगब्भवतिय मणूसपंचिंदिय वेउ श्री. प्रशान। सूत्र:४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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