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________________ प्रज्ञापनासत्रे ६५८ नेरइयपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे वि, जात्र देवपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे वि, जइ नेरइयपंचिंदिय वेउब्वियसरीरे कि रथणपभापुढविनेरइय पंचिदिय वेउच्चियसरीरे जाव किं अहे सत्तमा पुढवि नेरइय पंचिंदियबेउब्वियसरीरे ? गोयमा ! रयणप्पभापुढवि नेरइय पंचिंदिय वेउब्वियसरीरे वि जाव अहे सत्तमा पुढवि नेरइयपंचिंदिय वेउव्वियसरीरेऽवि जइ रयण. प्पभापुढवि नेरइय वेउठिकयसरीरे किं पजतगरयणप्पभापुढवि नेरइयवेउब्वियसरीरे, अपजत्तगरयणप्पमापुढवि नेरइयचिदियवे उध्वियसरीरे ? गोयमा ! पजत्तगरयणप्पभापुढविनेश्इयबिंदिय बेउब्वियसरीरे, अपज्जत्तगरयणप्पभापुढवि नेरइयपंधिदिय वेउभियसरीरे, एवं जाव अहे सत्तमाए दुगो भेदो भागियबो, जइ तिरिक्वजोणिय पंचिंदिय वेउटिवयसरीरे किं समुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोगिय वेउव्वियसरीरे, गब्भ. वक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउव्वियसरीरे ? गोयमा ! नो संमु. च्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणिय वे उब्वियसरीरे, गन्भवतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउव्वियसरीरे, जइ गभवतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियवेउव्वियसरीरे किं संखेजवासाउयगन्भवतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउव्क्यिसरीरे, असंखेज्जवासाउयगभवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वे उब्धियसरीरे ! गोयमा ! संखेजवासाउय गब्भवक्कं. तिय पंचिदियतिरिक्खजोणियवेउब्वियसरीरे, नो असंखेजवासाउय गब्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउब्धियसरीरे, जइ संखिज्जवासाउय गब्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियबेउब्वियसरीरे किं पजत्तय संखिजासाउय गन्भरक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्ख जोगिय वेउ. ब्धियसरोरे, अपजत्तग संखेजवासाउथ गम्भवतिय पंचिंदियतिरिक्ख - जोणिय वेउव्वियसरीरे ? गोयमा ! पजतगसंखिजवासाउय गब्भवक्कंतिय पंचिंदियतिरिक्खजोणिय वेउव्वियसरीरे, नो अपजस्तगसंखिजवा. साउय गब्भवतिय पंचिंदियतिरिव ख जोणिय उदि यसरीरे, जइ श्री. प्रशान। सूत्र:४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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