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प्रमेयवोधिनी टोका पद १७ सू० २२ लेश्यापरिणमननिरूपणम्
२९५ पश्चम उद्देशक मूलम्-कइ णं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ ? गोयमा छलेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, से नूगं भंते ! कण्ह. लेस्सा नीललेस्सं पप्प ता रूवत्ताए ता वन्नत्ताए ता गंधत्ताए ता रसताए ता फासत्ताए भुजो भुजो परिणमइ इत्तो आदत्तं जहा चउत्थओ उद्देसओ तहा भाणियव्वं जाव वेरुलियमणिदिटुंतो ति, से नूणं भंते! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प जो ता रूवत्ताए जाव णो ता फासत्ताए भुजो भुजो परिणमइ ? हंता, गोयमा ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए णो ता वन्नत्ताए णो ता गंधत्ताए णो ता रसत्ताए जो ता फासत्ताए भुजो भुज्जो परिणमइ, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव परिणमइ ? गोयमा! अगारभावमायाए वा से सिया पलिभागभावमायाए वा से सिया कण्हलेस्सा णं सा णो खल्लु नीललेस्सा तत्थ गया ओसकइ उस्सका वा, से तेगटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव भुजो भुजो परिणमइ, से नूणं भंते ! नीललेस्सा काउलेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नीललेस्ता काउलेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ ? गोयमा! आगारभावमायाए वा सिया पलिभागभावमायाए वा सिया नीललेस्ता णं सा णो खलु काउलेस्सा तत्थगया ओसकइ, उस्सकाइ वा, से एएणणं गोयमा! एवं बुच्चइनीललेस्सा काउलेस्सं पप्प णो ता रूवत्ताए जाव भुज्जो भुज्जो परिणमइ, एवं काउलेस्ला तेउलेस्सा पम्हलेस्सं पम्हलेस्सा सुक्कलेस्सं पप्प, से नूर्ण भंते ! सुक्कलेस्ता पम्हलेस्सं पप्य णो ता रूवत्ताए जाव परिणमइ ? हंता, गोयमा ! सुक्कलेस्सा तं चेव, से केणटुणं भंते ! एवं वुच्चइ-सुक्कलेस्सा जाव णो परिणमइ ? गोयमा ! आगारभावमायाए
श्री. प्रशान। सूत्र:४