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________________ प्रज्ञापनासत्र महडिया वा? गोयमा! कण्हलेस्तेहितो एगिदियतिरिक्खजोणिया नीललेस्ता महड्डिया, नीललेस्तेहितो तिरिक्खजोणिया काउलेस्ता महडिया, काउलेस्लेहितो तेउलेस्सा महडिशा, सव्वप्पड्डिया एगिदियतिरिक्खजोणिया कण्हलेस्सा, सव्वमडिया तेउलेस्सा, एवं पुढविकाइयाण वि, एवं एएणं अभिलावेणं जहेब लेस्साओ भावियाओ तहेव नेयव्वं जाव चउरिदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीगं संमुच्छि. मागं गभवकंतियाण य सव्वेसिं भाणियव्वं जाव अप्पडिया वेमागिया देवा तेउलेस्सा, सव्वमहडिया वेमाणिया सुक्कलेस्सा, केई भणंति चउवीसं दंडएणं इड्डी भाणियव्वा ॥ सू० १२ ॥ ॥ बीओ उद्देसओ समत्तो ।। छाया--एतेषां खलु भदन्त ! जीवानां कृष्णलेश्यानां यावत् शुक्ललेश्यानाञ्च कतरे कतरेभ्योऽल्पर्द्धिका वा महर्द्धिका वा ? गौतम ! कृष्णलेश्येभ्यो नीललेश्या महर्दिकाः, नीललेश्येभ्यः कापोतलेश्या महर्द्धिकाः, एवं कापोतलेश्येभ्य स्तेजोलेश्या महर्दिकाः, लेश्या और ऋद्धि शब्दार्थ-(एएसिणं भंते ! जीवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुकलेस्साणं) हे भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले जीवों में (कयरे कयरेहिंतो) कौन किससे (अप्पड्डिया वा महड्डिया वा ?) अल्प, ऋद्धि वाले अथवा महान् ऋद्धि वाले हैं ? (गोयमा ! कण्हलेस्से हितो) हे गौतम ! कृष्णलेश्यावालों से (नीललेस्सा महड्डिया) नीललेश्या वाले महाधिक हैं (नीललेस्सहिंतो काउ. लेस्सा महडिया) नीललेश्यावालों से कापोतलेश्या वाले महर्धिक हैं (एवं काउलेप्तेहितो तेउलेस्सा महड़िया) इसी प्रकार कापोतलेश्या वालों से तेजोलेश्या वाले महर्धिक हैं ? (तेउलेस्सेरितो पम्हलेस्सा महडिया) तेजोलेश्या वालों से લેશ્યા અને ઋદ્ધિ शहाथ-(एएसिणं भंते ! जीवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साणं) 3 लापन् ! २१॥ सेश्यावा. यावत् शु४५वेश्यावा लामा कयरे कयरेहितो) ११ जनाथी (अप्प इढिया वा मह ढिया वा ?) १६५ऋद्धिपणा अथवा महान्य छ १ (गोयमा ! कण्हलेस्से हितो) है गौतम! वेश्यामाथी (नीललेस्सा महडूढिया) सोश्यापा भघि छ (नीललेस्सेहितो काउलेस्सा महढिया) नीसवेश्यावाणासाथी पातवेश्यावाणा भधि छ (एवं काउलेस्सेहिंतो तेउलेस्सा महड्ढिया) से अरे पातोश्यावाजाय। २तां श्री. प्रशान। सूत्र:४
SR No.006349
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size58 MB
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