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________________ ८१८ प्रज्ञापनासूत्रे पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा, गौतम ! त्रयोदशविधः प्रयोगः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-सत्यमनः प्रयोगः, मृषामनःप्रयोगः, सत्यमृषामनःप्रयोगः, असत्यामृषामनः प्रयोगः, एवं वचः प्रयोगोऽपि, औदारिकशरीरकायप्रयोगः, औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगः, वैक्रियशरीरकायप्रयोगः, वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगः, कार्मणशरीरकायप्रयोगः, मनुष्याणां पृच्छा, गौतम ! पञ्चदशविधः प्रयोगः प्रज्ञप्त स्तद्यथा-सत्यमनःप्रयोगो यावत् कार्मणशरीरकायप्रयोगः, वानव्यन्तरप्रकार (असच्चामोसवइप्पओगे) असत्यामृषावचनप्रयोग (ओरालियसरीरकायप्पओगे) औदारिकशरीरकायप्रयोग (ओरालियमीससरीरकायप्पओगे) औदा. रिकमिश्रशरीरकायप्रयोग (कम्मासरीरकायप्पओगे) कार्मणशरीरकायप्रयोग (एवं जाय चउरिदियाणं) इसी प्रकार यावत् चौइन्द्रियों का (पंचिंदियतिरिप खजोणियाणं पुच्छा ?) पंचेन्द्रिय तिर्यचों संबंधी पृच्छा ? (गोयमा ! तेरसविहे पओगे पण्णत्ते) हे गौतम ! तेरह प्रकार का प्रयोग कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (सच्चमणप्पओगे) सत्यमनःप्रयोग (मोसमणप्पओगे) मृषामनः प्रयोग (सच्चमोसमणप्पओगे) सत्यमृषामनः प्रयोग (असच्चामोसमगप्पओगे) असत्यामृषामनः प्रयोग (एवं वइप्पओगे वि) इसी प्रकार वचनप्रयोग भी (ओरालिसरीरकायप्पओगे) औदारिकशरीरकायप्रयोग (ओरालियमीससरीरकायप्पओगे) औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोग (वेउव्वियसरीरकायप्पओगे) चैक्रियशरीरकायप्रयोग (वेउव्वियमीससरीरकायप्पओगे) वैफ्रियमिश्रशरीरकाय. प्रयोग (कम्मासरीरकायप्पओगे) कर्मणशरीरकायप्रयोग (मणूसाणं पुच्छा?) मनुष्यों के विषय में पृच्छा ? (गोयमा! पण्णरसविहे गौतम ! या२ १२ना प्रयोग ह्या छ ? (तं जहा ) 21 प्रारे ( असच्चामोसवइ पओगे ) सत्याभूपायनयोग (ओरालियसरीरकायप्पओगे) मोहा२ि४ मिश्र शरी२४॥ प्रयोग ( कम्मासरीरकायप्पओगे) अभय शरीर ।यप्रयोग (एवं जाव चतुरिंदियाणं ) मे પ્રકારે યાવત્ ચતુરિન્દ્રિયોના (पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा १) ५२न्द्रय तियय समन्धी छ ? (गोयमा ! तेरसविहे पओगे पण्णत्ते ) गौतम ! ते२ ५४।२ना प्रयोग ह्या छ ? ( तं जहा) मा प्रारे ( सच्चमणप्पओगे ) सत्य भन: प्रयास (मोसमणप्पओगे) भृषा मनः प्रयोग (सच्चामोसमणप्पओगे) सत्य भूषा मनः प्रयोग ( असच्चामोसमणप्पओगे) असत्या भूषा भनः प्रयोग ( एवं वइप्पओगे वि ) २४ प्ररे वयन प्रया५ ५ ( ओरालियसरीरकाय. प्पओगे मोहा२ि४ श१२ ७।प्रयास (ओरालियमीससरीरकायप्पओगे) सौहार मिश्र शश२ आय प्रयोग ( वेउव्वियसरीरकायप्पओगे) वैठिय मिश्र शरी२ ५ प्रयास (कम्मासरीरकायप्पओगे ) आभए शरी२ अय प्रयोग) (मणूसाणं पुच्छा ? ) भनुष्याना विषयमा छ। १ ( गोयमा ! पण्णरसविहे पओगे श्री प्रशान। सूत्र : 3
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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