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प्रज्ञापनासूत्रे तानि ? गौतम ! अन्तानि, कियन्ति बद्धानि ? अष्टौ, कियन्ति पुरस्कृतानि ? अष्टो वा नव वा सप्तदश वा, संख्येयानि वा, असंख्येयानि वा, अनन्तानि वा, एवं यावत् स्तनितकुमाराणां तावद् भणितव्यम्, एवं पृथिवीकायिकाः, अप्कायिकाः, वनस्पतिकायिका अपि, नवरं कियन्ति बद्धानि इति पृच्छा, उत्तरम् एकं स्पर्शनेन्द्रिय द्रव्येन्द्रियम्, एवं तेजस्कायिकस्य वायुकायिकस्यापि, नवरं पुरस्कृतानि नव वा दश वा, एवं द्वीन्द्रियाणामपि, नवरं बद्धपृच्छायां द्वे, एवं त्रीन्द्रियस्यापि, नवरं बद्धानि चत्वारि, एवं चतुरिन्द्रियस्यापि, नवरं बद्धानि षट् ___(एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवइया दचिदिया अतीता ?) हे भगवन् ! एक-एक असुरकुमार की कितनी द्रव्येन्द्रियां अतीत हैं ? (गोयमा! अणंता) हे गौतम ! अनन्त (केवथा बल्लिगा) कितनी बद्ध हैं ? (अट्ठ) आठ (केवइया पुरेक्खडा) आगे होने वाली कितनी ? (अट्ठ वा, नव वा, जाव संखेजा वा, असंखेजा वा अणंता वा? ) आठ, नौ, यावत् , संख्यात, असंख्यात अथवा अनन्त (एवं जाव थणियकुमाराणं ताव माणियच्वं) इसी प्रकार स्तनितकुमारो तक कहना चाहिए।
(एवं पुढविकाइया, आउकाइया, वणस्तइकाइयावि) इसी प्रकार पृथ्वीकायिक, अपकायिक, वनस्पतिकायिक भी (नवरं) विशेष (केवड्या बद्धेल्लग त्ति पुच्छाए उत्तरं) बद्ध कितनी हैं, यह प्रश्न होने पर उत्तर यह है (एक्के फासिंदिय दविदिए) एक सर्शना द्रव्येन्द्रिय (एवं तेउकाइयवाउकाइयस्स वि) इसी प्रकार तेजस्कायिक और वायुकायिक की भी (नवरं) विशेष (पुरेक्खडा नव वा दस वा) आगे होने वाली नौ अथवा दस (एवं बेइंदियाण वि) इसी प्रकार द्वीन्द्रियों की भी (णवरं बल्लिग पुच्छाए दोषिण) विशेष बद्ध की पृच्छा होने पर दो इन्द्रियां है (एवं तेइंदियास वि) इसी प्रकार त्रीन्द्रि
(एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवच्या दवि दिया अतीता ?) समवन् ! । मे असुरशुभारनी सी द्रव्येन्द्रिय मतीत छ ? (गोयमा ! अणंता) गौतम ! मनत (केवइया बद्धेल्ला) 2ी ४५द्ध छ (अट्ठ) 418 (केवइया पुरेक्खडा) मा नारी की ? (अद्व वा नव वा जाव संखेजा वा असंखेज्जा वा अगंता वा) 2405, नो यावत् सध्या मस भ्यात अथवा मनन्त (एवं जाव थणियकुमाराणं ताव भाणियव्व) मे ४.२ स्तनित કુમારે સુધી કહેવું જોઈએ. . (एवं पुढधिकाइया, आउकाइया, वणस्सइकाइया वि) मे ५४ारे पृथ्वी यि४, At
य, वनस्पतिय४ ५९ (नवर) विशेष (केवइया बद्धेल्लगत्ति पुच्छार उत्तर) Real छ । प्रश्न यतi उत्त२ मा छ (एकके फासिदिय दयि दिए) मे १५ नद्रव्येन्द्रिय (एवं तेउकाइय वाउकाइयस्स वि) र प्रहारे ते४२४f43 मने पायुय: ५५५ (नवर) विशेष (पुरेक्खडा नव वा दस वा) मा. थनार न २५॥२ ४स (एवं बेइंदियाण वि) २०४ प्रारे दीन्द्रियानी ५५५ (नवर) विशेष (बद्धेल्लगा पुच्छाए दोण्णि) विशेष-मनी २७ तामे
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩