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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद १५ स. १० इन्द्रियादिनिरूपणम् ७२५ गौतम ! चत्वारि द्रव्येन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-वे घ्राणे, जिह्वा, स्पर्शनम्, चतुरिन्द्रियाणां पृच्छा, गौतम ! षड् द्रव्येन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-द्वे नेत्रे, द्वे घ्राणे, जिहवा, स्पर्शनम, शेषाणां यथा नरयिकाणां यावद् वैमानिकानाम्, एकैकस्य खलु भदन्त ! नैरयिकस्य कियन्ति द्रव्येन्द्रियाणि अतीतानि ? गौतम ! अनन्तानि, कियन्ति बद्धानि ? गौतम ! अष्टौ कियन्ति पुरस्कृतानि ? गौतम ! अष्टौं वा, षोडश वा, सप्तदश वा संख्येयानि वा, असंख्ये. यानि वा, अनन्तानि वा, एकैकस्य खलु भदन्त ! असुरकुमारस्य कियन्ति द्रव्याणि अतीहे गौतम ! दो द्रव्येन्द्रियां कही हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (फासिदिए य जिभिदिए य) स्पर्शेन्द्रिय और रसनेन्द्रिय (तेइंदियाणं पुच्छा ?) त्रीन्द्रियों की पृच्छा ? (गोयमा ! चत्तारि दधिदिया पण्णत्ता) हे गौतम ! चार द्रव्येन्द्रियां कही हैं (तं जहा-दोघाणा, जीहा, फासे) दो घ्राण, रसना और स्पर्शन (चरिंदियाणं पुच्छा ?) चौ-इन्द्रियों की पृच्छा? (गोयमा ! छ दधिदिया पण्णता) हे गोतम ! छह द्रव्येन्द्रियां कही हैं (तं जहा-दो णेत्ता, दो घाणा, जीहा, फासे) वे इस प्रकार दो नेत्र, दो घ्राण, रसना और स्पर्शन (सेसाणं जहा नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं) शेषों की नारकों के समान यावत असुरकुमारों की। (एगमेगस्त णं भंते ! नेरइयरस केवइया दधिदिया अतीता?) हे भगवन ! एक-एक नैरयिक की कितनो द्रव्येन्द्रियां अतीत हैं ? (गोयमा ! अणंता) हे गौतम ! अनन्त (केवइया बद्धेल्लमा ?) बद्ध कितनी ? (गोयमा ! अह) हे गौतम ! आठ (केवड्या पुरेक्खडा ?) आगे होने वाली कितनी ? (गोयमा! अट्ट वा. सोलस वा, सत्तरस वा, संखेजा वा, असंखेजा वा, अणंता वा) हे गौतम ! आठ, सोलह, सत्तरह, संख्यात असंख्यात अथवा अनन्त । जिभिदिएय) ५शेन्द्रिय अने. २सनेन्द्रिय (तेइंदियाणं पुच्छा ?) त्रीन्द्रियोनी छ। १ (गोयमा ! चत्तारि दविदिया पण्णत्ता) 3 गौतम! या२ ०२न्द्रय ४डी छे (तं जहा दो घाणा, जोहा, फासे) में प्राण, न, १५श (चउरिंदियाणं पुच्छा ?) यतुरिन्द्रियानी छ। ? (गोयमा ! छ दनिदिया पण्णत्ता) 3 गौतम ! ७ द्रव्येन्द्रियो डी छे (तं जहा-दो णेत्ता, दो घाणा जीहा फासे) ते मा ४२ मे Hin, मे. प्रा २सना भने २५नि (सेसाणं जहा नेरइयाणं जाव वेमाणियाण) मादीनानी नानी समान यावत् असुमारानी (एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया दव्वि दिया अतीता ?) 3 मावन् ! ४ से नयिनीही द्रव्येन्द्रिय अतीत छ ? (गोयमा ! अणंता) 3 गौतम ! अनत (केवडया वल्लगा ?) मद्ध थनारी Real ? (गोयमा ! अट्ठ) 3 गौतम! 2418 (केवइया पुरेक्खडा) मा थनारी टक्षी (गोयमा! अट्ठ वा, सोलस वा, सत्तरस वा संखेज्जा वा, असंखेज्जा वा अणंता वा) 3 गीतम! 218, सोत, सत्तर, सभ्यात मध्यात मया मनात श्री प्रशान। सूत्र : 3
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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