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प्रज्ञापनासूत्रे भदन्त ! द्रव्येन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! अष्टौ द्रव्येन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-द्वे श्रोत्रे, द्वे नेत्रे, द्वे घ्राणे, जिहवा, स्पर्शः, नैरयिकाणां भदन्त ! कति द्रव्येन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! अष्टौ एतानि चैव, एवम् असुरकुमाराणां यावत् स्तनितकुमाराणामपि, पृथिवी. कायिकानां भदन्त ! कति द्रव्येन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ? एकं स्पर्श नेन्द्रियं प्रज्ञप्तम्, एवं यावद् वनस्पतिकायिकानाम्, द्वीन्द्रियाणं भदन्त ! कति द्रव्येन्द्रियाणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! द्वे द्रव्येन्द्रिये प्रज्ञप्ते, तद्यथा-स्पर्शनेन्द्रियश्च निवेन्द्रियञ्च, श्रीन्द्रियाणां पृच्छा, हैं (तं जहा-दचिदिया य भाकिंदिया य) वे इस प्रकार-द्रव्येन्द्रियां और भावे न्द्रियां (कइ णं भंते ! दविदिया पण्णत्ता ?) हे भगवन ! द्रव्येन्द्रियां कितने प्रकार की कही हैं ? (गोयमा ! अट्ठ दविदिया पण्णत्ता) हे गौतम ! द्रव्येन्द्रियां आठ कही हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (दो सोत्ता, दो नेत्ता, दो घाणा, जीहा, फासे) दो श्रोत्र, दो नेत्र, दो घाण, जिहवा और स्पर्शन (नेरइयाणं भंते ! कह विदिया पण्णत्ता) हे भगवन् ! नारकों की द्रव्येन्द्रियां कितनी कही हैं ? (गोयमा ! अट्ठ एए चेव) हे गौतम ! यही आठ (एवं असुरकुमाराणं जाव थणि. यकुमाराणं) इसी प्रकार असुरकुमारों की यावत् स्तनितकुमारों की भी। ___ (पुढविकाइयाणं भंते ! कइ दविदिया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! पृथ्वोकायिको की कितनी द्रव्येन्द्रियां कही हैं ? (गोयमा ! एगे फासिदिए पण्णत्ते) हे गौतम! एक स्पर्शेन्द्रिय कही है (एवं जाव वणस्सइकाइयाणं) इसी प्रकार यावत् वनस्पतिकायिकों की (बेइंदियाणं भंते ! कइ दधिदिया पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! द्वीन्द्रियों की कितनी द्रव्येन्द्रियां कही हैं ? (गोयमा! दो दविदिया पण्णत्ता) भाविंदिया य) से भारी द्रव्येन्द्रियो मन भावन्द्रियो (कइणं भंते ! दबिंदिया पण्णत्ता ?) उमापन ! द्रव्येन्द्रिय मा ४२नी ४ही छ ? (गोयमा ! अटू दविदिया पण्णत्ता) है गौतम ! द्रव्येन्द्रियो मा8 ४ही छे (तं जहा) ते 21 प्रारे (दो सोत्ता, दो नेत्ता, दो घाणा, जीहा, फासे,) मे ४ान, मे मम, मे प्राए, Corea अने २५शन (नेरइयाणं भंते ! कई दविदिया पण्णत्ता) मापन् ! नानी द्रव्येन्द्रिय सी डी छ १ (गोयमा ! अट्र एए चेव) 3 गौतम! ते २१ २१6 (एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराण वि) से प्रारे અસુરકુમારની યાવત્ સ્વનિતકુમારેની પણ
(पुढविकाइयाणं भंते ! कइ दविंदिया पण्णत्ता ?) 3 भगवन् ! यिनी दक्षी द्रव्येन्द्रियो डी छ ? (गोयमा ! एगे फासिदिए पण्णत्ते) 3 गौतम ! १५शनन्द्रय ही छ (एवं जाव वणस्सइकाइयाणं) ४२ यावत् वनस्पतियानी (बेइंदियाणं भंते ! कइ दावि दिया पण्णत्ता?) भगवन् ! दीन्द्रियानी की द्रव्य धन्द्रिय ४ही छ ? (गोयमा ! दो दवि दिया पण्णत्ता) : गौतम ! मे द्रव्येन्द्रिय ४ी छ (तं जहा) ते ॥ ४ारे (फासिदिए य
श्री प्रापन। सूत्र : 3