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________________ प्रज्ञापनासूत्रे गाद्धा विशेषाधिका, घ्राणेन्द्रियस्य उत्कृष्टा उपयोगादा विशेषाधिका, जिहूवेन्द्रियस्य उत्कृष्टा उपयोगाद्धा विशेषाधिका, स्पर्शनेन्द्रियस्य उत्कृष्टा उपयोगाद्धा विशेषाधिका, जघन्योत्कृष्टायाम् उपयोगाद्धायां सर्वस्तोका चक्षुरिन्द्रयस्य जयन्यिका उपयोगाद्धा, श्रोत्रे. न्द्रियस्य जघन्यिका उपयोगाद्धा विशेषाधिका, घ्राणेन्द्रियस्य जघन्यिका उपयोगाद्धा विशेषाधिका, जिवेन्द्रियस्य जयन्यिका उपयोगाद्धा विशेषाधिका, स्पर्शनेन्द्रियस्य जयन्यिका उपयोगाद्धा विशेषाधिका, स्पर्शनेन्द्रियस्य जघन्यिकाभ्य उपयोगाद्धाभ्य चतुरिन्द्रियस्य उत्कृष्टा उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया) श्रोत्रेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगद्धा विशेषाधिक है (घाणिदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धाविसेसाहिया) घ्राणेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगद्धा विशेषाधिक है (जिभिदियस्स उक्कोसिया उपयोगद्धा विसेसाहिया) जिहवेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगाद्धा विशेषाधिक है (फासिंदियस्स उक्कोसिया उवओगद्धा विसेसाहिया) स्पर्शनेन्द्रिय का उत्कृष्ट उपयोगद्धा विशेषाधिक है (जहण्ण उक्कोसियाए उवओगद्धाए) जघन्योत्कृष्ट उपयोगद्धा में सव्वत्थोया चक्खिदियस्स जहणिया उवओगद्धा) सबसे कम चक्षुइन्द्रिय का जघन्य उपयोगद्धा है (सोइंदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया) श्रोत्रेन्द्रिय का जघन्य उपयोगद्धा विशेषाधिक है (घाणिदियस्स जहणिया उयओगद्धा विसेसाहिया) नाणेन्द्रिय का जघन्य उपयोगद्धा विशेषाधिक है (जिभिदियस्स जहणिया उवयोगद्धा विसेसाहिया) जिहवेन्द्रिय का जघन्य उपयोगद्धा विशेषाधिक है (फासिदिधस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया) स्पर्शनेन्द्रिय का जघन्य उपयोगद्धा विशेषाधिक है (फासिंदियस्स जहणियाउपयोद्धामा सवयी माछा रिन्द्रियना कृष्ट उपयोगी छ (सोइंदियस्स उक्कोसिया उपओगद्धा विसेसाहिया) श्रीन्द्रियना उत्कृष्ट उपयोगद्धा विशेषाधि छ (घाणि दियस्स उक्कोसिया उपओगद्धा विसेसाहिया) dन्द्रियना कृष्ट उपयोगाचा विशेषाधि४ छ (जिभिंदियस्स उक्कोसिया उवआगद्धा विसेसाहिया) Mallन्द्रयना Erge अपयोnा विशेषाधि छे (फासि दियस्स उक्कोसिया उबओगद्धा विसेसाहिया) २५श नन्द्रियन ट ७५योगाद्धा વિશેષાધિક છે (जहण्णउक्कोसियाए उवओगद्धाए) धन्योट उपयोखामा (सव्यत्थोवा चक्खिंदियस्स जहणिया उवओगद्धा) माथी माछ। यधन्द्रियना धन्य उपयोगी छ (सोइंदियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया) श्रीन्द्रियना धन्य उपयोगाचा विशेषाधि छ (पाणि दियस्स जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया) प्राणन्द्रियना धन्य उपयोग 40. पाधि छ (जिभिदियस्स जहणिया उवयोगद्धा विसेसाहिया) हिन्द्रियना धन्य ५ये:शाखा विशेषाधि छे (फासि दियरस जहणिया उवओगद्धा विसेसाहिया) २५शनन्द्रियन જઘન્ય ઉપગાદ્ધ વિશેષાધિક છે श्री प्रशान। सूत्र : 3
SR No.006348
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages955
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size62 MB
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