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प्रज्ञापनासूत्रे जहा ओरालिया, आहारगसरीरा जहा असुरकुमाराणं तेयाकम्मगा जहा एएसिं चेव वेउब्विया जोइसियाणं एवं चेव, तासिणं सेढीणं विक्खंभसूई बिछप्पन्नंगुलसयवग्गलिभागो पयरस्स, वेमाणियाणं एवं चेय, नवरं तासिणं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलवितीयवग्गमूलं तइयवग्गमूलपडुप्पण्णं अहवण्णं अगुलतइयवग्गमूलघणप्पमाणमेत्ताओ सेढीओ, सेसं तं चेव । सरीरपयं समत्तं ॥सू०६॥ ___ छाया-द्वीन्द्रियाणामौदारिकशरीरै बढेः प्रतरमपहियते, असंख्याभिरुत्सपिण्यवसर्पिणीभिः कालतः, क्षेत्रतोऽगुलप्रतरस्य आवलिकायाश्चासंख्येयभागप्रतिभागेन, तत्र खलु यानि तावद मुक्तानि तानि यथा औधिकानि औदारिकप्रतानि, वैक्रियाणि आहारकाणि च बद्धानि न सन्ति, मुक्तानि यथा औधिकानि औदारिकमुक्तानि, तैजसकार्मणानि यथा
प्रतर पूरण वक्तव्यता शब्दार्थ-(बेइंदियाणं) दो इन्द्रियों के (ओरालियसरीरेहिं) औदारिक शरीरों से (बद्धेल्लगेहिँ) बद्धों से (पयरो) प्रतर (अवहीरइ) अपहत किया जाता है (असंखेचाहिं उत्सप्पिणी ओसप्पिणाहिं कालओ) काल की अपेक्षा से असंख्यात उत्सर्पिणी अवसर्पिणी कालों से (खेत्तओ) क्षेत्र से (अंगुलपयरस्स) अंगुल प्रतर के (आवलियाए य) और आवलिका के (असंखेज्जइभाग पलिभागेणं) असंख्येय भाग प्रतिभाग से (तत्थ णं) उनमें (जे ते मुक्केल्लगा) जो मुक्त-त्यागे हुए हैं (ते जहा ओहिया ओरालिय मुक्केल्लया) ये समुच्चय मुक्तों के समान (वेउचिया आहारगा य बल्लिगा णत्थि) बद्ध वैक्रिय और आहारक नहीं होते (मुक्केल्लगा जहा ओहिया ओरालियमुक्केल्लगा) मुक्त समुच्चय मुक्त औदारिकों के समान (तेया कम्मगा जहा एतेसिं चेव ओहिया ओरालिया)
પ્રતર પૂરણ વક્તવ્યતા शहाथ-(बेइंदियाण) दीन्द्रयाना (ओरालियसरीरेहिं) मोहा२ि४ शरीराथी (बघेल्लगे हिं) पोथी (पयरो) प्रत२ (अबहीरइ) मपात ४२॥॥ छ (असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणि-ओसप्पिणिहि कालओ) ४ी अपेक्षा 3री असभ्यात समाए-सपी Baral (खेत्तओ) क्षेत्रथी (अंगुलपयरस्स) Ye प्रत२ (आवलियाए य) मने सिना असंखेज्जइभाग पलीभागेणं) असभ्येय मा प्रतिमाथी (तत्थ णं) तमामा (जे ते मुक्केल्लगा) २ भुत छ त्यता छ (तं जहा ओहिया ओरालियमुक्केल्लया) तेसो सभुश्यय भुताना समान (वेउविए आहरगाय बद्धेल्लगा नत्थि) वैठिय मन मा २४ डा नथी (मुक्केल्लगा जहा ओहिया ओरालियमुक्केल्लगा) मुद्रत समुन्य भुत मोहा२ि४समान (तेया कम्मगा जहा एएसि चेव ओहिया ओरालिया) तेस आम तमना सभुश्य मोहोरि.
श्री प्रशान। सूत्र : 3