________________
प्रमेयबोधिनी टीका पद १२ सू० ६ प्रतरपूरणवक्तव्यनिरूपणम् एतेषाश्चैव औधिकानि औदारिकाणि, एवं यावच्चतुरिन्द्रियाणि, पञ्चन्द्रियतिर्यग्योनिकाना मेवश्चैव, नवरं वैक्रियशरीरेषु अयं विशेषः-पश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां भदन्त ! कियन्ति वैक्रियशरीराणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! द्विविधानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-बद्धानि मुक्तानि च, तत्र खलु यानि तावद बद्धानि तानि खलु असंख्येयानि, यथा असुरकुमाराणाम्, नवरं तासां खलु श्रेणीनां विष्कम्भसूची अगुलप्रथमवर्गमूलस्यासंख्येयभागः, मुक्तानि तथैव, मनुष्याणां भदन्त ! कियन्ति औदारिकशरीराणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! द्विविधानि प्रज्ञप्तानि, तैजस और कार्मण इन्हीं के समुच्चय औदारिकों के समान (एवं जाव चरिंदिया) इसी प्रकार यावत् चतुन्द्रिय (पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं एवं चेच) तिर्यंच पंचेन्द्रियों का कथन इसी प्रकार (नवरं) विशेष (वेउब्धियसरीरएसु इमो विसेसो) वैक्रियशरीरों में यह विशेषता है (पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइया वेउब्धियसरीरया पण्णत्ता?) पंचेन्द्रियतिर्यग्योनियों के हे भगवन् ! कितने वैक्रिय शरीर कहे हैं ? (गोयमा! दुविहा पणत्ता) हे गौतम! दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा-बद्धेल्लगा य, मुक्केल्लगा य) वे इस प्रकार बद्ध और मुक्त (तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा ते णं असंखेजा) उनमें जो बद्ध हैं वे असंख्यात हैं (जहा असुरकुमाराणं) जैसे असुरकुमारों के (णवरं) विशेष (तासि णं सेढीणं) उन श्रेणियों को (विक्खंभसई) विष्कसूची (अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखेन्नई भागो) अंगुल के प्रथम वर्गमूल का असंख्यातवां भाग (मुक्केल्लगा तहेय) मुक्त शरीर उसी प्रकार। __ (मणुस्साणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरगा पण्णत्ता?) हे भगवन् ! मनुष्यों के औदारिक शरीर कितने कहे हैं ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता) हे गौतम ! दो
ना समान (एवं जाव चउरिंदिया) मे आरे यावत् यतुरिन्द्रिय (पंचिं दियतिरिक्ख जोणियाणं एवं चेव) तिय य ५न्द्रियोनाथन 20 प्रमाण (नवरं) विशेष (वेउव्यियसरीरएसु इमो विसेसो) पैठिय शरीशमा २ विशेषता छ (पंचिं दियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! केयइया येउब्वियसरीरया पण्णत्ता ?) पयन्द्रिय तिय य योनिन मापन ! 2 वैठिय शरी२ ४i छ ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता) ३ गौतम ! मे प्रा२ना ४ा छे (तं जहाबघेल्लगाय, मुक्केल्लगा य) म भने भुत (तत्थ णं जे ते बद्धेल्लगा तेणं असंखेज्जा) तमाभां र मधेस छ तमामात छ (जहा असुरकुमाराणं) रेभ असु२भारे। समन्धी ४थन छ ते४ प्रमाणे (णवरं) विशेषता (तासीणं सेढीण) ते योनी (विक्खंभसूई) 4
स्थी (अंगुल पढमवग्गमूलस्स असंखेज्जइ भागो) Rinmन पहेसा भूखाना असभ्यातमा लाक्षी छ. (मुक्केल्लगा तहेव) भुत शरीर ५४ मा प्रमाणे समा .
(मणुरसाणं भंते ! केवइया ओरालियसरीरगा पण्णत्ता) 3 मावन् मनुष्योना मोहा(२४ शरीर ३८८४॥ छ ? (गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता) गौतम ! मे पानापामा
श्री प्रशान॥ सूत्र : 3