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प्रज्ञापनासूत्रे
कः स खण्डभेदः ? खण्डभेदो यत् खलु अयः खण्डानां वा, त्रपुखण्डानां वा, ताम्रखण्डानां वा, शीशकखण्डानां वा, रजतखण्डानां वा, जातरूपखण्डानां वा, खण्डकेन भेदो भवति तत् स खण्डभेदः १, तत् कः स प्रतरभेदः ? यत् खलु वंशानां वा, वेतसानां वा, नलानां वा, कदलीस्तम्भानां वा, अभ्रपटलानां वा प्रतरेण भेदो भवति तत् स प्रतरभेदः २, तत् कः स चूर्णिकाभेदः ? चूर्णिकाभेदो यत् खलु तिलचूर्णानां वा, मुद्रचूर्णानां वा, माषचूर्णानां वा, पाँच प्रकार के भेद कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (खंडाभेदे) खण्डभेद (पयरभेदे) प्रतरभेद (चुणिया भेदे) चूर्णभेद (अणुतडियाभेदे) अनुतटिका भेद (अक्क रियाभेदे) उत्कटिकाभेद
(से किं तं खंडाभेदे ?) खंडभेद क्या है ? (खंडाभेदे) खंडभेद (जं णं अयखंडाण वा) जो लोहे के खंडों का (तउखंडाण वा) रांगे के खंडों का (तंबखंडाण चा) तांबे के खंडों को (सीसखंडाण वा ) शीशे के खंडों का ( रययखंडाण वा ) चांदी के खंडों का (जातरूव खंडाण वा) अथवा सोने के खंडों का (खंडएणं) खंडक के द्वारा (भेदे भवइ) भेद होता है (से तं खंडाभेदे) वह खंडभेद कहलाता है
(से किं तं पयराभेदे ?) प्रतर भेद क्या है ? (पयराभेदे) प्रतर भेद (जं णं वंसाण वा) जो वांसों का (वेताण वा) अथवा वेतों का (नलाण वा) या नलों का (कदलीभाण वा) या कदलीस्तंभों का (अन्भपडलाण वा) या अभ्रक के पड़लों का ( परेण भेदे भवइ) प्रतरों से भेद होता है (से तं पयराभेदे) वह प्रतरभेद कहलाता है
( से किं तं चुण्णियाभेदे ?) चूर्णिका भेद क्या है ? (चुण्णिया भेदे) चूर्णिकाभेद अहारना लेह उहेसा छे ? ( गोयमा ! पंचविधे भेदे पण्णत्ते) हे गौतम! पांथ अारना लेट उडेस छे (तं जहा) तेथे या प्रारे (खंडाभेदे) भंडे लेह (पयरभेदे) अतर लेह ( चुणिया भेदे) यू लेह (अणुतडिया भेदे) अनुतटिश लेह ( उक्करिया भेदे) उलटा लेड
(से किं खंड भेदे ?) मंड लेह शु छे (खंडाभेदे) अडलेह (जं णं अयखंडाण वा ) ? सोढाना मडोना (तउखंडाण वा ) साना मडोना (तंब खंडाण वा) तांमाना भडाना (सीस खंडाण ) शीसाना मडोना ( रययखंडाण वा) यांहीना मडोना ( जातरूवखंडाण या ) अथवा सोनाना मडोना (खंडएणं) भडेना द्वारा (भेदे भवइ) लेह थाय छे ( से तं खंडा भेदे) ते मांडले उडेवाय छे
(सेतं पयभदे ?) अतर लेह शु छे ? ( पयराभेदे) प्रतर लेह ( जंणं वंसाण वा) ● पांसोना ( वेत्ताण वा) अथवा नेतरना (नलाण वा ) अगर नाजाना (कदलीथंभाण वा ) अगर डेजना स्थलोना ( अब्भपडलाण वा ) अगर साउना पडना (पयरेण भेदे भवइ) अतरोथी लेह थाय छे ( से तं पयराभेदे) ते प्रतर लेह अहेवाय छे
(से कि तं चुणिया भेदे) यूशि। लेह शु छे ? ( चुण्णिया भेदे) यूअि लेड (जं णं)
श्री प्रज्ञापना सूत्र : 3