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प्रज्ञापनासूत्रे १० स्यात् चरमश्च अवक्तव्यश्च ११ स्यात् चरमश्च अवक्तव्यौ च १२ स्यात् चरमौ च अवक्तव्यश्च १३ स्यात् चरमौ च अवक्तव्यौ च १४ नो अचरमश्च अवक्तव्यश्च १५ नो अचरमश्च अवक्तव्यानि च १६ नो अचरमाणि च अवक्तव्यश्च १७ नो अचरमाणि अवक्तव्यानि च १८ स्यात् चरमश्च अचरमश्च अवक्तव्यश्च १९ स्यात् चरमश्च अचरमश्च अवक्तव्यौ च २० स्यात् चरमश्च अचरमौ च अवक्तव्यश्च २१ नो चरमश्च अचरमाणि च अवक्तव्यानि च २२ स्यात् माइं) अचरमाणि नहीं है, (५) (णो अवत्तव्वयाई) अवक्तव्यानि नहीं है, (६) (सिय चरमे य अचरमे य) कथंचित् चरम और अचरम हैं, (७) (सिय चरमे य अचरमाइंच) कथंचितू चरम और अचरमाणि है, (८) (सिय चरमाइं च अचरमे य) कथंचित् चरमाणि और अचरम है, (९) (सिय चरमाई च अचरमाइं च) कथंचित् चरमाणि और अचरमाणि है, (१०) (सिय चरमे य अवत्तव्यए य) कथंचित् चरम और अवक्तव्य है, (११) (सिय चरमे य अवत्तव्वयाइं च) कथंचित् चरम और अवक्तव्यानि है, (१२) (सिय चरमाइं च अवत्तव्यए य) कथंचित् चरमाणि और अवक्तव्य है, (१३) (सिय चरमाइं च अवत्तव्वयाइं च) कथचित् चरमाणि और अवक्तव्यानि है, (१४) (णो अचरमेय अवत्तव्वयाइं य) अचरम और अवक्तव्य नहीं है, (१५) (णो अचरमेय अवत्तव्वयाइंच) अचरम और अवक्तव्यानि नहीं है, (१६) (णो अचरमाइं च अवत्तव्यए य) अचरमाणि और अवक्तव्य नहीं है, (१७) (जो अचरमाइंच अवत्तव्ययाई च) अचरमाणि और अवक्तव्यानि नहीं है, (१८) (सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य) कथंचित् चरम, अचरम और अवक्तव्य है, (१९) (सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाई च) कचित् चरम, अचरम, और अवक्तव्यानि है, (२०) (सिय चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्यए य) कथंचित् चरम, अचरमाणि और अवमयरम छे, ७ (सिय चरमे य अचरमाई च) ४थयित् य२म मन मयरमाण छ, ८ (सिय चरमाइं च अचरमे य) ४थयित् य२मा भने अय२भ छ, ८ (सिय चरमाइं च अचरमाइं च) थियित् य२माणि मने मयरमाण छ, १० (सिय चरमे य अवत्तव्वए य) ४थायित् यरम भने मतव्य छे. ११ (सिय चरमें य अवत्तव्बयाईच) ४थथित् ५२म भने स१तव्यानि छ. १२ (सिय चरमाइं च अवत्तव्वयाइं च) ४थयित् य२भाल मने Aq४तव्य छ, १३ (सिय चरमाइंच अवत्तव्वयाइच) ४थयित् २२मा अने १४तानि छ, १४ (णो अचरमे य अवत्तव्वए य) भयभ मने अ१४तव्य नथी. १५ (णो अचरमे य अवत्तव्वयाई च) मय२म मने 24१४तव्यानि नथी, १६ (णो अचरमाइं च अवत्तव्वए य) अयमा भने भक्तव्य नथी. १७ (णो अचरमाईच अवत्तव्वयाइं च) मय२माणि मन म१४तव्यानि नथी १८ (सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य) ४थयित् २२भ; अन्य२म अने मतव्य छ १८ (सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाईच) ४थ रितू य२म, मयरम मन अवतव्यानि
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩