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प्रमेयबोधिनी टीका पद १० सू० ५ द्विप्रदेशादिस्कन्धस्य चरमाचरमत्वनिरूपणम्
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चरमौ च अचरमश्च अवक्तव्यश्च २३ स्यात् चरमो च अचरमश्च अवक्तव्यौ च २४ स्यात् चरमौ च अचरमौ च अवक्तव्यश्च २५ स्यात् चरमौ च अचरमौ च अवक्तव्यौ च २६ अष्ट प्रदेशिकः खलु भदन्त ! स्कन्धः पृच्छा, गौतम ! अष्टप्रदेशिकः स्कन्धः स्यात् चरमः १ नो अचरमः २ स्यादवक्तव्यः ३ नो चरमाणि ४ नो अचरमाणि ५, नो अवक्तव्यानि ६, स्यात् चरमश्च अचरमश्च ७ स्यात् चरमश्च अचरमाणि च ८ स्यात् चरमाणि च अचरमश्च ९ क्तव्य है, (२१) (णो चरिमे य अचरमाईच अवत्तव्वयाई च) चरम, अचरमाणि और अवक्तव्यानि नहीं, (२२) (सिय चरमाईच अचरमेय अवत्तव्वए य) कथंचित् चरमाणि अचरम और अवक्तव्य है, (२३) (सिय चरमाइ च अचरमेय अवत्तव्वयाइं च) कथंचित् चरमाणि, अचरम और अवक्तव्यानि है, (२४) (सिय चरमाईच अचरमाइं च अवत्तव्यए य) कथंचित् चरमाणि, अचरमाणि और अवक्तव्य है, (२५) (सिय चरमाइं च अचरमाई च अवत्तव्ययाइंच) कथंचित् चरमाणि अचरमाणि और अवक्तव्यानि है, (२६) ।
(अट्ठपएसि णं भंते ! खंधे पुच्छा) हे भगवन् ! अष्टप्रदेशी स्कंध के विषय में पृच्छा ? (गोयमा! अट्ठपएसिए खंधे) हे गौतम! अष्टप्रदेशी स्कंध (सिय चरमे) कथंचित् चरम है, (१) (नो अचरमे) अचरम नहीं, (२) (सिय अवत्तव्वए) कथंचित् अवक्तव्य है, (३) (नो चरमाई) चरमाणि नहीं, (४) (नो अचरमाई) अचरमाणि नहीं, (५) (नो अवत्तव्वयाइं) अवक्तव्य नहीं, (६) (सिय चरमे य अचरिमे य) कथंचित् चरम और अचरम है, (७) (सिय चरिमे य अचरिमाइं च) कथंचित् चरम और अचरमाणि है, (८) (सिय चरमाई अचरमे छ. २० (त्रिय चरमे य अचरमाइं च अवत्तव्वए य) थयित् यम भयरमा भने म१४तव्य छ. २१ (णो चरिमे य अचरमाईच अवत्तव्बयाई च) २२भ, भयमाथि भने २५१४d०यानि नथी. २२ (सिय चरमाइंच अचरमे य अवत्तव्वए य) ४थयित् यमान भयरम. सन २०१४तव्यानि छ. २३ (सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वयाई च) ४थयित् यसमावि मयरम मने. २०१४तव्यानि छ. २४ (सिय चरमाइं च अचरमाईच अवतव्वए य) ४थायित् ५२माण भयरमाण भने मतव्य छे. २५ (सिय चरमाइंच अचरमाईच अवत्तव्वयाईच) ४थायितया भयरमा भने २१४तव्यानि छ. २६
(अटुपएसिणं भंते ! खंधे पुच्छा ?) हे भगवन ! २५८ प्रशी २४न्धन विषयमा १२छ? (गोयमा ! अदुपएसिए खंधे) ३ गौतम ! भट प्रशी २५ (सिय चरमे) ४थ. थित यम छे. १ (नो अचरमे) मयरम नथी, २ (सिय अवत्तव्वए) ४थायित् मत. व्य छे. 3 (नो चरमाई) य२मालि नथी, ४ (नो अचरमाइ) मयरमाण नथी, ५ (नो अवत्तव्वयाई) २५१४तव्यानि नथी. ६ (सिय चरिमे य अचरिमे य) ४थायित् ५२म मन भयरम छ, ७ (सिय चरिमे य अचरिमाइं च) ४थगित न्य२म मन. मयरमा छ, ८ (सिय
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૩