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प्रबोधिनी टीका पद ३ सू. ३९ परमाणुपुद्गलानामल्पबहुत्वम्
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एकगुणकालकानाम्, संख्येयगुणकालकानाम्, असंख्येयगुणकालकानाम्, अनन्तगुणकालकानाञ्च पुद्गलानां द्रव्यार्थतया प्रदेशार्थतया द्रव्यार्थ प्रदेशार्थतया च कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! यथा पुद्गलास्तथा भणितव्याः, एवं संख्येयगुणकालका अपि एवं असंख्येय
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ख्यात समय की स्थिति वाले पुद्गल द्रव्य से असंख्यातगुणा हैं (ते चैब पएसट्टयाए असंखिज्जगुणा ) वे ही प्रदेशों से असंख्यातगुणा हैं ।
(एएसि णं भंते!) हे भगवन् ! इन ( एगगुणकालगाणं) एक गुण काले ( संखिज्जगुणकालगाणं) संख्यातगुण काले (असंखिज्जगुणकालगाणं) असंख्यातगुण काले (अनंतगुण कालगाण य) और अनन्त गुण काले ( पुग्गलाण) पुद्गलों में (दव्वट्टयाए) द्रव्य से ( पसट्टयाए) प्रदेशों से (दव्यपएसइयाए य) द्रव्य एवं प्रदेशों से ( कयरे कमरे हिंतो ) कौन किस से ( अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? ) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (जहा पुग्गला तहा भाणियच्चा) जैसे पुद्गल कहे वैसा ही कहना चाहिए ( एवं ) इसी प्रकार (संखिज्जगुणकालगाण वि) संख्यात गुण काले भी ( एवं असंखेज्जगुणकालगाण चि) इसी प्रकार असंख्यात गुण काले भी ( एवं सेसा वि) इसी प्रकार शेष भी (चण्णा) वर्ण (गंधा) गंध ( रसा) रस ( फासा) स्पर्श (भाणियव्चा) कहने चाहिए (फासाणं )
स्थितिवाजा युगस द्रव्यथी असं ज्यातगा छे. (ते चैव परसट्टयाए असंखिज्जगुणा ) मे ४ प्रदेशोथी असभ्यातगाया छे.
(एएसिणं भंते!) हे भगवन् भा ( एगगुणकालगाणं) मेड शुशुला (संखिज्जगुणकालगाणं) सभ्यात गुणु अणा (असंखिज्जगुणकालगाणं) असण्यात
अ (अनंत गुणकालगाण य) अने अनंत गुणु अणा (पुमालाणं) युगसोभां (goagar) scual (qgugang) ubdial (geagq1azam) gou mâ uèâual ( कयरे करेहिंतो ) अणु अनाथी ( अप्पा वा वहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा) महय, वधारे, तुझ्य अथवा विशेषाधि छे ?
(गोयमा !) डे गौतम ! ( जहा पुग्गला तहा भाणियव्वा) प्रेम युगस उद्या छे तेभन देवा लेई थे. (एवं) से ४ प्रमाणे (संखिज्जगुणकालगाणं वि) संख्यातगु णा पुद्गल पशु ( एवं असंखे जगुणकालगाण वि) भे ४ प्रमाणे असौंच्यात गुशुणा पशु ( एवं सेसा वि) ४ प्रमाणे माडीना युगसेो ना संबंधभां पशु सभवु (वण्णा) वर्षा (गंधा) गंध (रसा) २ ( फासाणं)
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર :૨