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प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.३७ बन्धद्वारानुसारेणाल्पबहुत्वम् जीयाः आयुष्कस्य कर्मणो बन्धकाः १, अपर्याप्तकाः संख्येयगुणाः २, सुप्ताः संख्येयगुणाः ३, समवहताः संख्येयगुणाः ४, सातवेदकाः संख्येयगुणाः ५, इन्द्रियोपयुक्ताः संख्येयगुणाः ६, अनाकारोपयुक्ताः संख्येयगुणाः ७, साकारोपयुक्ताः संख्येयगुणाः ८, नो इन्द्रियोपयुक्ता विशेषाधिकाः ९, असातावेदका विशेषाधिका १०, असमवहता विशेषाधिकाः ११, जाग्रतो विशेषाधिकाः १२, पर्याप्तका विशेषाधिकाः १३, आयुष्कस्य कर्मणोऽबन्धका विशेषाधिकाः॥ (आउयस्स कम्मस्स बंधगा) आयुकर्म के बन्धक हैं (अपज्जत्तया संखेज्जगुणा) अपर्याप्तक संख्यातगुणा हैं (सुत्ता संखेज्जगुणा) सुप्त संख्यातगुणा हैं (समोहया संखेज्जगुणा) समुद्घात चाले संख्यातगुणा हैं (सायावेयगा संखेज्जगुणा) सातावेदक संख्यातगुणा हैं (इंदियोवउत्ता) इन्द्रियोपयुक्त संख्यातगुणा हैं (अणागारोवउत्ता संखेज्जगुणा) अनाकार उपयोग में उपयुक्त संख्यातगुणा हैं (सागारोवउत्ता संखेज्जगुणा) साकारोपयोग वाले संख्यातगुणा हैं (नोइंदियोयउत्ता विसेसाहिया) नोइन्द्रिय के उपयोग वाले विशेषाधिक हैं (आसायावेयगा विसेसाहिया) असातावेदक विशेषाधिक हैं (असमोहया विसेसाहिया) समुद्घात न करते हुए विशेशाधिक हैं (जागरा विसेसाहिया) जागृत विशेषाधिक हैं (पज्जत्तया विसेसाहिया) पर्याप्त विशेषाधिक हैं (आउयस्स कम्मस्स अबंधया विसेसाहिया) आयु कर्म के अबन्धक विशेषाधिक हैं।
अब बन्धद्वार की अपेक्षा से जीवों के अल्पबहुत्व का प्रतिपादन स्स कम्मस्स बंधगा) आयु मना मन्ध छ (अपज्जत्तया सखेज्जगुणा) २५५. H3 सेण्यात ॥ छ. (सुत्ता संखेज्जगुणा) सुत सच्यात गए। छे. (समोहया संखेज्जगुणा) समुद्धात सयात ॥ छे. (सायावेयगा सखेज्जगुणा) सातावह४ सयात छ. (इंदियोव उत्ता संखेज्जगुणा) द्रिया५युत सध्यात आशा छ. (अणागारोबउत्ता सखेज्जगुणा) २मन।२५युतवाय यात छ. (सागारोबउत्ता संखेज्जगुणा) सा२।५योग सच्यात छ. (नो इंदियो. बउत्ता विसेसाहिया) नो द्रियोपयोग१७॥ विशेषाधि छ. (असायावेयगा विसेसाहिया) मसातवह विशेषाधि४ छ. (असमोहया विसेसाहिया) समुद्धात न ४२१ावा विशेषाधि४ छ, (जागरा विसेसाहिया) opतविशेषाधि छ, (पज्जत्तया विसेसाहिया) पर्यायो विशेषाधि छ, (आउयस्स कम्मस्स अबंधया विसेसाहिया) २मायुभना २५44 विशेषाधि छ. ॥ ९ ॥
ટીકાર્થ-હવે બંધદ્વારની અપેક્ષાથી જેના અલ્પ બહુત્વનું નિરૂપણ प्र० ४६
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨