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________________ २३८ प्रज्ञापनासूत्रे स्तिकायःआकाशास्तिकायः, एते खलु त्रयोऽपि तुल्याः द्रव्यार्थतया सर्वस्तोकाः, जोवास्तिकायो द्रव्यार्थतया अनन्तगुणः, पुद्गलास्तिकायो द्रव्यार्थतया अनन्तगुणः, अद्वासमयो द्रव्यार्थतया अनन्त गुणः, एतेषां खलु भदन्त ! धर्मास्तिकाय अधर्मास्तिकाय आकाशास्तिकाय-जीवास्तिकाय -पुद्गलास्तिकाय-अद्धा-समयानां प्रदेशार्थतया कतरे कतरेभ्यः अल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! धर्मास्तिकायः, अधर्मास्तिकायः, एतौ खलु द्वावपि तुल्यौ प्रदेशार्थतया या ?) अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं । (गोयमा) हे गौतम (धम्मत्थिकाए) धर्मास्तिकाय (अधम्मत्थिकाए) अधर्मास्तिकाय (आगासत्थिकाए) आकाशास्तिकाय (एएणं तिन्नि वि तुल्ला) ये तीनों ही बराबर हैं (व्वट्टयाए) द्रव्य की अपेक्षा से (सव्वत्थोया) सब से कम हैं (जीवत्थिकाए) जीवास्तिकाय (दबट्टयाए) द्रव्य की अपेक्षा से (अणंतगुणा) अनन्तगुणा है । (पोग्गलस्थिकाए) पुद्गलास्तिकाय (दव्यटूयाए अणंतगुणे) द्रव्य की अपेक्षा अनन्तगुणा है (अद्धासमए चट्ठयाए अणंतगुणे) अद्धाकाल द्रव्य की अपेक्षा से अनन्तगुणा हैं। ___ (एएसि णं भंते !) हे भगवन् ! इन (धम्मस्थिकाय-अधम्मत्थिकाय आगासस्थिकाय-जीवस्थिकाय -पोग्गलस्थिकाय-अद्धासमयाणं) धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय, पुदगलास्तिकाय और अद्धाकाल में (पएसट्टयाए) प्रदेशों की अपेक्षा से (कयरे कयरेहितो) कोन किससे (अप्पा वा बहुया चा तुल्ला चा विसेसाहिया या ?) अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा !) (गोयमा !) गौतम (धम्मस्थिकाए) यास्तिय (अधम्मत्थिकाए) PAधास्तिय (आगासाथिकाए) माशास्तिय (एएणं तिन्नि तुल्ला) मात्रणे परामर छ (दव्वयाए) द्रव्यनी अपेक्षाये (सव्वत्थोवा) माथी माछ। छे (जीवत्थिकाए) स्तिय (दव्ययाए) द्रव्यनी अपेक्षाये (अणतगुणे) अनन्त छ (पोग्गल. स्थिकाए) स्ताय (दव्वट्ठवाए अणतगुणे) द्रव्यनी अपेक्षा मनन्तमा छ (अद्धासमए दबट्टयाए अणतगुणे) Age द्रव्यनी अपेक्षा अनन्त . (एएसिणं भंते !) 3 लगवन् ! (धमस्थिकाय अधम्मत्थिकाय आगासस्थिकायजीवत्थिकाय- पागलत्यिकाय अद्धासमयाणं) यातिय, अयस्ताय शा. स्तिय स्तिपाय धुमास्ताय सने मद्धा ४७ (पएसट्रयाए) प्रशानी अपेक्षा (कयरे कयरेहिंतो) नाथी (अप्पो वा बहुया वा तुल्ला वा विसे. साहिया वा ?) २०६५ ५ तुल्य २॥२ विशेषाधित छ ? શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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