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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.१२ कषायवतामकषायवतां चाल्पबहुत्वम् १९७ छाया-एतेषां खलु भदन्त ! सकपायिणाम्, क्रोधकषायिनाम् मानकृषायिणाम् , मायाकपायिणाम्, लोभकपायिणाम्, अषायिणाश्च कतरे कतरेभ्यः अल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा ? गौतम ! सर्वस्तोकाः जीयाः अकषायिणः, मानकषायिणोऽनन्तगुणाः, क्रोधकपायिणो विशेषाधिकाः, माया कषायिणो विशेषाधिकाः, लोभ कषायिणो विशेषाधिकाः, सकषायिणो विशेषाधिकाः।॥१२॥ टीका--अथ कषाय द्वारमधिकृत्य जीवाल्पबहुत्वादिकं प्ररूपयितुमाह कषायद्वार वक्तव्यता शब्दार्थ-(एएसिणं भंते !) हे भगवन् ! इन (सकसाईणं) कषाय वालों (कोहकसाईणं) क्रोध कषाय वालों (माणकसाईणं) मानकषाय वालों (माया कसाईणं) माया कषाय वालों (लोह कसाईण) लोभ कषाय वालों (अकसाईण य) और अकषायों में (कयरे कयरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया या ?) अल्प बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं । (गोयमा) हे गौतम ! (सव्यत्थोवा जीवा अकसाई) सबसे कम जीव अकषायी हैं (माणकसाई अणंतगुणा) मानकषाय चाले अनन्तगुणा हैं (कोहकसाई विसेसाहिया) क्रोध कषाय वाले विशेषाधिक हैं (मायाकसाई विसेसाहिया) माया कषाय वाले विशेषाधिक हैं (लोहकसाई विसेसाहिया) लोम कषाय वाले विशेषाधिक हैं (सकसाई विसेसाहिया) सकषाय जीव विशेषाधिक हैं। अब कषायों की अपेक्षा से जीवों का अल्पबहत्व कहते हैं કષાય દ્વાર વક્તવ્યતા हाथ-(एएसिणं भंते !) भगवन् ! ॥ (सकसाईi) पायो पाणा (कोह कसाईणं) डोध पाय वाणा (माणकसाईणं) मान ४ाय पाणा (मायाकसाईणं) माया ४ाय व (लोहकसाईणं) साल षाय पाणा (अकसाईणं य) भने मायामा (कयरे कयरेहितो) १ नाथी (अप्पा वा बहुया वा तुल्ला व। विसेसाहिया वा) १६५, घ, तुल्य २५॥२ विशेषाधिछ ? (गोयमा) 3 गौतम ! (सव्वत्थोवा जीवा अकसाई) ५५ाथी माछ। ७१ ५४ायी छ (माणकसाई अणंतगुणा) भान ४ायव मनन्त छ (कोह कसाई विसेसाहिया) ओघ ४ाया विशेषाधिर छ (माया कसाई विसेसाहिया) भाया ४षाय वा विशेषाधि छ (लोहकसाई विसेसाहिया) खाल ४ाय पणा विशेषाधि४ छ (सकसाई विसेसाहिया) स४ायी ७५ विशेषाधि छे. હવે કષાયોની અપેક્ષાએ જેનું અ૫– બહેત્વ કહે છે શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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