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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू. ६ सूक्ष्मबादरकायद्वारनिरूपणम् १०३ विशेषाधिकाः, सूक्ष्मतेजस्कायिका अपर्याप्तकाः संख्येयगुणाः, सूक्ष्मपृथिवीकायिकाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्माष्कायिकाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः सूक्ष्म वायुकायिकाः पर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मनिगोदाः अपर्याप्तकाः असंख्येयगुणाः, सूक्ष्मनिगोदाः पर्याप्तकाः संख्येयगुणाः सूक्ष्म वनस्पतिकायिकाः अपर्याप्तकाः अनन्तगुणाः, सूक्ष्माः, अपर्याप्तकाः विशेषाधिकाः, सूक्ष्मवनस्पतिकायिकाः पर्याप्तकाः संख्येयगुणाः, सूक्ष्माः पर्याप्तकाः विशेपाधिकाः, सूक्ष्माः विशेषाधिकाः || सू० ६ || , विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुम ते काइया पज्जत्तया संखेज्जगुणा) सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त संख्यातगुणा हैं (सुम पुढविकाइय पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुटुम आउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अष्कायिक पर्याप्त विशेषाधिक हैं ( सुहुम वाउकाइया पज्जन्तगा विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुकाधिक पर्याप्त विशेषाधिक हैं। (सुम निगोदा अपज्जन्तगा असंखेज्जगुणा ) सूक्ष्म निगोद अपर्याप्त असंख्यातगुणा हैं (सुम निगोदा पज्जत्तया संखेज्जगुणा ) सूक्ष्म निगोद पर्याप्त संख्यातगुणा हैं (सुहुम चणस्सइकाइया अपज्जतगा अनंतगुणा ) सूक्ष्म वनस्पतिकाइक अपर्याप्त अनन्तगुणा हैं (सुहुम अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्त विशेषाधिक हैं (सुहम वणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ) सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्त संख्यातगुणा हैं (सुम पज्जत्तगा विसेसाहिया) सूक्ष्म पर्याप्तक विशे तगा विसेसाहिया) सूक्ष्म भए अपर्याप्त विशेषाधि छे (सुहुम वाउकाइयां अपज्जत्तगा विसेसाहिया) सूक्ष्म वायुअयि अपर्यास विशेषाधि छे (सुहुम ( ते कोइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ) सूक्ष्म ते४२४४ पर्याप्त संख्यात छे ( सुहुम पुढ विकाइया पज्जत्तया विसेस (हिया) सूक्ष्म पृथ्वी पर्याप्त विशेपाधि छे. (सुहुम आउकाइया पज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अच्छा पर्याप्त विशेषाधिः छे (सुहुमवाउकाइयापज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्मवायुमाथि पर्याप्त विशेषाधिछे सुहुम निगोदा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा ) सूक्ष्म निगोह अपर्याप्त असभ्यातगलु। छे (सुहुम निगोदा पज्जत्तया संखेज्जगुणा ) सूक्ष्म निगोह पर्याप्त सभ्याता छे (सुहुम वणस्सइकाइया अपज्जत्तगा अनंतगुणा ) सूक्ष्म वनस्पतिअयि अथर्याप्त अनन्तगणा छे (सुहुम अपज्जत्तया विसेसाहिया) सूक्ष्म अपर्याप्त विशेषाधिक छे (सुहुम बणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा ) सूक्ष्म वनस्पति अयि पर्याप्त संख्यात छे ( सुहुम पज्जन्त्तगा विसेसाहिया ) सूक्ष्म पर्यास શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર :૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
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