SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1164
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११४९ प्रमैयबोधिनो टोका पद ६ सू.१२ आयुबन्धनिरूपणम् बहुया वा, तुल्ला वा, विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जीवा जातिणामनिहत्ताउयं अहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा सत्तहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेज्जगुणा, छहिं आगरिसेहिं पकरेमाणा संखेजगुणा, एवं पंचहिं संखिजगुणा, चउहिं संखिज्जगुणा तीहि संखेजगुणा, दोहिं संखिजगुणा, एगेणं आगरिसेणं पगरेमाणा संखेजगुणा, एवं एतेणं अभिलावेणं जाव अणुभागणामनिहत्ताउयं, एवं एते छप्पिय अप्पाबहुदंडगा जीवादिया भाणियव्वा, इति पण्णवणाए वक्कंतियपयं छटुं समत्तं ।६।।सू०१६॥ छाया-कतिविधः खलु भदन्त ! आयुष्यबन्धः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! षडूविधः आयुष्यबन्धः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-जातिनामनिधत्तायुष्यम् १, गतिनामनिधत्तायुष्यम्२, स्थितिनामनिधत्तायुष्यम् ३, अवगाहनानामनिधत्तायुष्यम् ४, प्रदेशनामनिधत्तायुष्यम्५, अनुभावनामनिधत्तायुष्यम्६, नैरयिकाणां भदन्त ! कतिविधः आयुबन्ध के प्रकार शब्दार्थ--(कइ विहेणं भंते ! आउयबंधे पण्णत्ते?) भगवन् ! आयु का बंध कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा !) हे गौतम ! (छविहे) छह प्रकार का (आउय बंधे) आयु का बन्ध (पण्णत्त) कहा गया है। (तं जहा) वह इस प्रकार (जातिनामनिहत्ताउए) जाति नाम निधत्तायु (गतिनामनिहत्ताउए) गति नामनिधत्तायु (ठितिणाम निहत्ताउए) स्थितिनामनिधत्तायु (ओगाहणनामनिहत्ताउए) अवगाहना नामनिधत्तायु (पएसनामनिहत्ताउए) प्रदेशनामनिधत्तायु (अणुभाव नाम निहत्ताउए) अनुभाव नाम निधत्तायु । (नेरइयाणं भंते ! कइविहे आउयबंधे पण्णत्ते ?) भगवन् ! नारकों આયુ બન્ધના પ્રકાર शहाथ:-(कइविहेणं भंते ! आउयबंधे पण्णत्ते ?) 3 लावन् ! मायुना अन्य सा प्रश्न हा छ ? (गोयमा) 3 गौतम ! (छबिहे) ७ प्रहारने (आउयबन्धे) आयुन। मन्५ (पण्णत्ते) ४ा छे (तं जहा) ते २0 ४ारे (जाति नामनिहत्ताउए)ति नाम निवत्तायु (गतिनामनिहत्ताउए) गति नाम निधतायु (ठितिनामनिहत्ताउए) स्थिति नाम निवत्तायु (ओगाहणनामनिहत्ताउए) 2Aq॥ नाम नियत्तायु (पएसनामनिहत्ताउए) प्रदेश नाम निवत्तायु (अणु - भावनामनिहत्ताउए) मनुमा नाम निघत्तायु શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨
SR No.006347
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1975
Total Pages1177
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size68 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy