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प्रमेयबोधिनी टीका पद६ सू.१५ तिर्यग्योनिकायुद्वर्तनानिरूपणम् ११२५ पृथिवीनैरयिकेषु उपपद्यन्ते यदा तिर्यग्योनिकेषु उपपद्यन्ते, किम् एकेन्द्रियेषु यावत् पञ्चन्द्रियेषु उपपद्यन्ते ? गौतम ! एकेन्द्रियेषु यावत् पञ्चेन्द्रियेषु उपपद्यन्ते, एवं यथा एतेषाञ्चैव उपपातः, उद्वर्तनाऽपि तथैव भणितव्या, नवरम्-असंख्येयवर्षायुष्केष्वपि एते उपपद्यन्ते, यदा मनुष्येषु उपपद्यन्ते, किं समुच्छिममनुष्येषु उपपद्यन्ते, गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्येषु उपपद्यन्ते ? गौतम ! द्वयेष्वपि, एवं यथा उपपातस्तथैव उद्वर्तनापि भणितव्या, नवरम्-अकर्म भूमिगगर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्येषु के नारकों में उत्पन्न होते हैं (जाव) यावत् (अहे सत्तमपुढवि नेरइएसु उववज्जति) यावत् सातवीं पृथ्वी के नारकों में उत्पन्न होते हैं
(जइ तिरिक्ख जोणिएस्सु उववज्जति) यदि तियंचों में उत्पन्न होते हैं (किं एगिदिएसु जाय पंचिंदिएसु उववज्जति ?) क्या एकेन्द्रियों में यावत् पंचेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा ! एगिदिएसु जाव पंचिंदिएसु उववज्जति) गौतम! एकेन्द्रियों में यावत् पंचेन्द्रियों में उत्पन्न होते हैं (एवं जहा एतेसिं चेव उववाओ उव्वदृणा वितहेव भाणियव्वा) यों जैसा इनका उपपात कहा है, वैसी उद्वर्त्तना भी कहनी चाहिए (नवरं) विशेषता यह कि (असंखेज्जवासाउएसु वि एते उववज्जति) असंख्यात वर्ष की आयु वालों में भी उत्पन्न होते हैं.
(जइ मणुस्सेसु उववज्जति) यदि मनुष्यों में उत्पन्न होते हैं (किं संमुच्छिममणुस्सेसु उववज्जति ?) क्या संमूर्छिम मनुष्यों में उत्पन्न होते ? (गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु उवरजंति ?) गर्भज मनुष्यों में नेरइएसु उबवज्जति) २त्नप्रभा पृथ्वीना ना२मा ६५न थाय छे. (जाव) यावत् (अहे सत्तमा पुढवि नेरइरसु उववज्जति) यावत् सातमी पृथ्वीना नामा त्पन्न थाय छे. ___ (जइ तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति) या तिय याथी उत्पन्न थाय छे. (किं पगिदिएसु जाब पंचिंदिएसु उववज्जति ?)) शुमेहेन्द्रियोमा यावत् ५ येन्द्रियामा उत्पन्न थाय छ ? (गोयमा ! एगिदिएसु जाव पंचिदिएसु उववज्जति) गौतम ! सन्द्रियोभा यावत् पश्यन्द्रियामा उत्पन्न थाय छे. (एवे जहा एतेसिं चेव उववाओ उठवट्टणा वि तहेव भाणियव्वा) २माम वो तमन। ५पात ४ह्यो छ, तेवी वतना ५ ४ी नये. (नवरं) विशेषता से छे (असंखेज्जवासाउएसु वि एते उववज्जति) मसच्या वर्षनी मायुवाणायामा ५९ તેઓ ઉત્પન્ન થાય છે.
(जइ मणुस्सेसु उववज्जंति) (ने मनुष्यामा अत्५न्न थाय छे. (किं संमुच्छिम मणुस्सेसु उबवज्जति ?) शुसभूछि म मनुष्योम G५- थाय छ ? (गन्भवक्कंतिय मणुस्सेसु उबवज्जति ?) गम मनुध्यामा ७५-न थाय छ ?(गोयमा !
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨