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________________ प्रबोधिनी टीका द्वि. पद २ सू. ५ बादरवनस्पतिकायिकानां स्थानानि ५९३ प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! स्वस्थानेन सप्तसु घनोदधिषु सप्तसु घनोदधिवलयेषु, अधोलोके - पातालेषु भवनेषु भवनप्रस्तटेषु, ऊर्ध्वलोके - कल्पेषु विमानेषु विमानावलिकासु विमानप्रस्तटेषु, तिर्यग्योके- अगडेषु तडागेषु नदीषु हूदेषु वापीषु पुष्करिणीषु atriary areary सरस्सु सरःपक्तिकामु सरस्सरः पक्तिकासु बिलेषु बिलपङ्क्तिकासु उज्झरेषु चिल्ललेषु वप्रेषु समुद्रेषु सर्वेष्वेव जलाशयेषु जलस्थानेषु, पण्णत्ता ?) हे भगवन् ! बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तक जीवों के स्थान कहां हैं? (गोयमा ! सहाणेणं) हे गौतम! स्वस्थान की अपेक्षा से (सत्त घणोदहिसु) सात धनोदधियों में (सत्तसु घणोदहिवलएसु) सात घनोदधिवलयों में (अहोलोए) अधोलोक के अन्दर (पायालेसु) पातालों में (भवणेसु) भवनों में (भवणपत्थडेसु) भवनों के पाथडों में (उडलोए) ऊर्ध्वलोक के अन्दर (कप्पेस) कल्पों में (विमाणेसु) विमानों में (विमाणावलियासु) विमानावलियों में (विमाणपत्थडेसु) विमानों के पाथर्डीों में (तिरियलोए) तिर्छे लोक में (अगडेसु) कूपों में (तडागेसु) तालाबों में (नदी) नदियों में (दहेसु) हूदों में (वावीसु) वापियों में (पुक्खरिणीसु) पुष्करणियों में (दीहियासु) दीर्घिकाओं में (गुंजालियासु) गुंजालिकाओं में (सरेसु) सरोवरों में (सरपंतियासु) पंक्तिबद्ध सरोवरों में (सरसरपंतियासु) सर-सर-पंक्तियों में (बिलेसु) बिलों में (विलपतियासु) बिलों की पंक्तियों में (उज्झरेसु ) जल के अस्थायी प्रवाहों में (निझरेस) झरनों में (चिल्ललेस) तलैयों में (पल्ललेसु) पोखरों में (बपिणेसु) क्षेत्रों में (दीवेसु) द्वीपों में ( समुद्देसु) समुद्रों में (सव्वेसु चेव जलासएस) सभी जलाशयों में डे लगवन् ! माहश्वनस्पतियिः पर्याप्त लवोना स्थान म्यां छे ? (गोयमा ! सट्टाणेणं) गौतम ! हे स्वस्थाननी अपेक्षाये (सत्तसु घगोदहिस) सात धनोऽधिशोभां (सत्सु घणोदहिवलएस) सातघनहिधि वसयोमा (अहोलोए) अधोलोउनी अन्दर (पायालेसु) पाताणीमां (भवणेसु) लवनामां (भवणपत्थडेसु) लवनाना परथारोभां (उड्ढलोए) अव सोउनी अन्दर (कप्पेसु) उपोभां (विमाणेमु) विभानामां (विमाणावलियासु) विभाननी भावसियोमा (विमाणपत्थडेसु) विभानाना ५२थारभां (तिरियलोए) तिय सोभां (अगडेसु) हुवासभा (तडागेसु) तलावामां (नदीसु) नहीभां (दहेसु) छोभां (वावीसु) पापियामां (पुक्खरिणीसु) ५०५२शियामां (दीहियासु) हीर्घि अशोभां (गुंजालियासु) गुन्नतिप्रमोभां (सरेसु) सरे। - वशभां (सरपंतियासु) पंडित द्ध सरोवरोमां ( सरसरपंतियासु) सर-सरu'fazni (fang) fuàni (fasifang) (màul ulažni (TY) भजना अस्थायी प्रवाहामां (निज्झरेसु) अरामां (चिल्लेस) तसैयामां (पल्ल प्र० ७५ શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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