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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू. ४० समेदचारित्रार्यनिरूपणम् छेदोपस्थापनीयचरित्रार्थी द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - सातिचार छेदोपस्थापनीयचारित्रार्याश्व, निरतिचारछेदोपस्थापनीय वारित्रार्याध, ते एते छेदोपस्थापनीयचारित्रार्याः २ । अथ के ते परिहारविशुद्धिकचारित्रार्याः ? परिहारविशुद्धिकचारि - त्रार्याः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - निर्विश्यमान परिहारविशुद्धिकचारित्रार्यांच, निर्विष्टकायिक परिहार विशुद्धिकचारित्रार्यावर । ते एते परिहारविशुद्धिकचारि - त्रार्याः ३ । अथ के ते सूक्ष्मसंपरायचारित्रार्याः ? सूक्ष्मसम्परायचारित्रार्या द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - संक्लिश्यमान सूक्ष्मसम्पराय चारित्रार्याश्च विशुध्यमानसूक्ष्म सम्परायचारित्रार्याश्च । ते एते सूक्ष्मसम्परायचारित्रार्याः ४ । अथ त्रार्य कितने प्रकार के हैं ? ( दुबिहा पण्णत्ता) दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा ) ये इस प्रकार हैं ( साइयारछेदोपट्टावणियचरितारिया य) सातिचार छेदोपस्थापनिक चारित्रार्य और (निरइयारछेदोवद्वावणिय चरितारिया य) निरतिचार छेदोपस्थापनिक चारित्रार्य (से त्तं छेदोपवडावणियचरितारिया) यह छेदोपस्थापनिकचरित्रार्य की प्ररूपणा हुई।
( से किं तं परिहारविशुद्धियचरितारिया ?) परिहार विशुद्धिक चारित्रार्य के कितने भेद हैं ? (दुविहा पण्णत्ता तं जहा ) दो प्रकार के कहे हैं, यथा (निव्विसमाणपरिहारविसुद्धियचारितारिया य) निर्वि इयमान परिहार विशुद्धिकचरित्रार्य और (निव्धिकाय परिहारविसुद्वियचरितारिया य) निर्विष्टकायिक परिहारविशुद्धिक चरित्रार्य (से तं परिहारविसुद्वियचरितारिया ) यह परिहारविशुद्धि चारित्रार्य की प्ररूपणा हुई । (से किं तं सुहुमसंपरायचरितारिया ?) सूक्ष्मसम्पराय अअरना छे ? ( दुविहा पण्णत्ता ) मे अारना उद्या छे (तं जहा) तेथे या प्रहारे
(साइयार छेदोवट्ठावणियचरितारिया य) सातियार छेोपस्थापनि यरित्रार्य म (निरइयारछेदोवावणियचरित्तारिया य) निरतियार छेहोपस्थापनि यरि. श्रार्य (से त्तं छेदोवद्वावणियचरित्तारिया ) मा છેદેપસ્થાપનિક ચારિત્રાની પ્રરૂપણા થઈ
(से किं तं परिहारविसुद्धिय चरितारिया ? ) परिहारविशुद्धि चारित्रार्यना કેટલા ભેદ છે? અર્થાત્ પરિહારવિશુદ્ધિક ચારિત્રા કેટલા પ્રકારના કહ્યા છે ? (दुबिहा पण्णत्ता तं जहा) में अहारना नेम (निव्विसमाणपरिहारविसुद्धिय चरितारिया य) निर्विशमान परिद्धार विशुद्धि चारित्रार्य अने (निव्विद्भकाय परिहारविसुद्धियचरित्तारिया य) निर्विष्टायि परिहार विशुद्धि चारित्रार्य परिहारविशुद्धि चारित्रार्यनी
(सेत्तं परिहार विद्धिचरितारिया) मा
પ્રરૂપણા થઇ
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શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧