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________________ प्रज्ञापनासूत्रे मसंपरायचरित्तारिया य ।। से किं तं अहक्खायचरित्तारिया? अहक्खायचरित्तारिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-छउमत्थअहक्खायचरित्तारिया य, केवलिअहक्खायचरित्तारिया य। से तं अहक्खायचरित्तारिया ।५। से तं चरित्तारिया। से तं अणिड्रिपत्तारिया। से तं कम्मभूमगा। से तं गम्भवक्कंतिया । से तं मणुस्सा ॥सू०४०॥ छाया-अथ के ते सामायिकचारित्रार्याः ? सामायिकचारित्रार्या द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-इत्वरिकसामायिकचारित्रार्याश्च, यावत्कथिकसामायिकचारित्रार्याथ२ । ते एते सामायिकचारित्रार्याः २ । अथ के ते छेदोपस्थापनीयचारित्रार्याः? शब्दार्थ-(अहवा) अथवा (चरित्तारिया) चरित्रार्य (पंचविहा) पांच प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (सामाइयचारित्तारिया) सामायिकचारित्र से आर्य (छेदोवट्ठावणियचरित्तारिया) छेदोपस्थापनिक चारित्र से आर्य (परिहारपिसुद्धियचरित्तारिया) परिहार विशुद्धिकचारित्रार्य (सुहुमसंपरायचरित्तारिया) सूक्ष्मसम्परायचारित्र से आर्य और (अहक्खायचरित्तारिया) यथाख्यात चारित्र से आर्य । (से किं तं सामाइयचरित्तारिया ?) सामायिक चारित्र से आर्य कितने प्रकार के हैं ? (दुविहा पण्णत्ता तं जहा) दो प्रकार के कहे हैं, यथा (इत्तरियसामाइयचरित्तारिया य) इसरिक सामायिक चारित्रार्य (आवकहियसामाइयचरित्तारिया य) यावत्कथिक सामायिक चारित्रार्य (से तं सामाइयचरित्तारिया) यह सामायिक चारित्रार्य हुए। (से किं तं छेदोवद्यापणियचरित्तारिया ?) छेदोपस्थापनिक चारि हाथ-(अहवा) PAथवा (चरित्तारिया) यात्रिय (पंचविहा) पांय ५४।२। (पण्णत्ता) ४ा छ (तं जहा) ते मारीते (सामाइयचारित्तारिया) सामायियारित्र थी 21 (छेदोवट्ठावणीयचारित्तारिया) छेहो५२था पनि४ यात्रियी मार्य (परिहार विसुद्धियचरित्तारिया) ५२।२ विशुद्धि यारित्राय (सुहुमसंपरायचरित्तारिया) सूक्ष्म सराय यात्रियी माय मने (अहक्खायचरित्तारिया) यथाभ्यातयारित्रथी माय (से किं तं सामाइयचरित्तारिया ?) सामायि४ यात्रियी माया - २॥ छ ? (समाइयचारित्तारिया ?) सामायि यात्रिीय (दुविहा पण्णत्ता तं जहा) मे प्रा२ना छ भ3 (इत्तरियसामाइयचरित्तारिया य) धत्व समायि४ यास्त्रिाय (आवकहियसामाइयचरित्तारिया य) यावत् थि४ सामायि४ याशिवाय (से त्तं सोमाइयचरित्तारिया) २३। सामाथि यात्रिय थया (से किं तं छेदोवद्वावणियचरित्तारिया) छोपस्थानिय यात्रिय सा શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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