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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३८ देशमेदेनार्यादिकनिरूपणम् ४४७ उयारा, छत्तारा, वज्झारा, पुच्छारा, लेप्पारा, चित्तारा, संखारा, दंतारा, भंडारा, जिज्झगारा, सेल्लगारा, कोडिगारा,जे यावन्ने तहप्पगारा । से तं सिप्पारिया ।५। से किं तं भासारिया ? भासारिया जे णं अद्धमागहाए भासाए भासेंति, तत्थ वि यणं जत्थ बंभी लिवी पयत्तइ। बंभीए लियीए अट्रारसविहे लेक्ख विहाणे पण्णत्ते, तं जहा-बंभीर, जवणाणिया२, दोसापुरिया३, खरोट्टी४, पुक्खरसारिया५, भोगवइया६, पहराइया७, अंतक्खरियाद, अक्खरपुठियार, वेणइया१०, निहइया ११, अंकलियो१२, गणियलिवी१३, गंधव्यलिवी१४, आयंसलियी१५, माहेसरी१६, दोमिलिवी१७, पोलिंदी१८ । से तं भासारिया।६। से किं तं नाणारिया? नाणारिया पंचविहा पण्णत्ता तं जहा -आभिणिबोहियनाणारिया१, सुयनाणारिया२, ओहिनाणा. रिया ३, मणपजवनाणारिया।४, केवलनाणारिया ५। से तं नाणारिया ॥७॥सू०३८॥
छाया-अथ के ते आर्याः ? आर्या द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-ऋद्धिप्राप्ताश्चि, अनृद्धि प्राप्ताश्चि । अथ के ते ऋद्धिप्राप्ताः ? ऋद्धिप्राप्ताः षविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-अर्हन्तः१, चक्रवर्तिनः२, बलदेवाः३, वासुदेवा४, __ शब्दार्थ-(से किं तं आरिया ?) आर्य कितने प्रकार के हैं ? (दुविहा पण्णत्ता) दो प्रकार के कहे हैं (इडिपत्तारिया य अणिड्पित्तारिया य) ऋद्धिप्राप्त आर्य और जो ऋद्धि-प्राप्त न हों ऐसे आर्य (से किं तं इडिपत्तारिया ?) ऋद्धिप्राप्त आर्य कितने प्रकार के कहे हैं ? (छव्यिहा पण्णत्ता) छह प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (अरहंता)
शहाथ-(से कि त आरिया) आय डेटा प्रान डाय छे ? (आरिया) माय (दुविहा पण्णत्ता) में प्रान ४॥ छ (इइढिपत्तारिया य अणिइढिपत्तारिया य) ३द्धि प्रा6 माय भने ३द्विा न खाय ते माय
(से कि त इढिपत्तारिया ?) ३द्विारत आया ४२ना छ ? (इढिपत्तारिया) *दि प्राप्त मार्यो (छ विहा पण्णत्ता) छ ४२न। ४ा छ (तं जहा) ते॥ ॥ मारे छ (अरहंता) तीथ ४२ (चक्कवट्टी) यवती (वलदेवा)
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧