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प्रज्ञापनासूत्रे चारणाः५, विद्याधराः ६॥ ते एते ऋद्धि प्राप्ताः ॥१॥ अथ के ते अवृद्धि प्राप्तार्याः ? अनृद्धि प्राप्तार्या नवविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा क्षेत्रार्याः१, जात्यार्याः२, कुलार्याः३, कार्याः४, शिल्पाः५, भाषा:६, ज्ञानार्याः७, दर्शनार्याः८, चारित्रार्याः९। अथ के ते क्षेत्रार्याः? क्षेत्रार्याः -अर्धषड्विंशविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा
'राजागृहं १, मगधः, चम्पा३, अङ्गः, तथा तामतिलिप्तिः३, बङ्गश्च ।
काश्चनपुरं४, कलिङ्गः, वाराणसी५, चैव काशी च ॥१॥ तीर्थकर (चकवट्टी) चक्रवर्ती (बलदेवा) बलदेव (वासुदेवा) वासुदेव (चारणा) चारण ऋद्धि वाले (विजाहरा) विद्याधर (से त्तं इडिपत्तारिया) यह ऋद्धि प्राप्त आर्य हैं। __ (से किं तं अपिडिपत्तारिया ?) ऋद्धि-अप्राप्त आर्य कितने प्रकार के हैं ? (नवविहा पण्णत्ता) नौ प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (खेत्तारिया) क्षेत्र से आर्य (जाइ आरिया) जाति से आर्य (कुलारिया) कुल से आर्य (कम्मारिया) कर्म से आर्य (सिप्पारिया) शिल्प से आर्य (भाषारिया) भाषा से आर्य (नाणारिया) ज्ञान से आर्य (दसणारिया) दर्शन से आय (चारित्तारिया) चारित्र से आर्य ।।
(से किं तं खेत्तारिया ?) क्षेत्रार्य कितने प्रकार के हैं ? (अद्वछच्चीसइविहा पण्णत्ता तं जहा) साढे पच्चीस प्रकार के कहे गए हैं, वे इस प्रकार हैं_ (रायगिह) राजगृह नगर (मगह) मगध (चंपा) चम्पा (अंगा) अंगदेश (तामलित्ति) ताम्रलिप्ति (बंगा य) और बंगदेश (कंचणपुर) पणव (वासुदेवा) पासुहेव (चारणा) या२६१ ३द्वार (विज्जाहरा) विधा३२ (से तं इडूढिपत्तारिया) २॥ ३द्विपास २मा छ
(से कि त अणिढि पत्तारिया) ३ मा आयटसा प्रारना छ ? (नवविहा पण्णत्ता) नो प्रा२॥ ४॥ छ (त जहा) ते॥ २॥ प्रारेछ
(खेत्तारिया) क्षेत्रथी मार्य (जाई आरिया) तिथी २ (कुलारिया) मुलथी (कम्मारिया) ४थी माय (सिप्पारिया) Auथी आय (भासारिया) साथी मार्य (नाणारिया) ज्ञानथी २मा (दंसणारिया) ४श नथीमा (चारित्ता रिया) यात्रिमा
(से कि त खेत्तारिया) क्षेत्राय स॥ ४॥२॥ छ ?
(अद्ध छव्वीसइविहा पण्णत्ता तं जहा) सा। पच्चीस ४२॥ ४॥ છે તેઓ આ પ્રકારે છે
(रायगिह) २००८ उना२ (मगह) भग (चंपा) २५॥ (अंगा) २in (ताम
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧