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________________ २२२ प्रज्ञापनासूत्रे मूलम्-से किं तं आउक्काइया ? आउकाइया दुविहा पण्णत्ता तं जहा-सुहुमआउकाइया य बायरआउकाइया य। से कि तं सुहुमआउकाइया ? सुहुमआउकाइया दुविहा पण्णत्ता तं जहा-पज्जत्तगसुहमआउकाइया य अपज्जत्तगसुहमआउकाइया य । से तं सुहुमआउकाइया। से किं तं बायरआउकाइया ? बायरआउकाइया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहाउस्सा१ हिमए २ महिया३ करए४ हरतणुए५, सुद्धोदए६ सीओ. दए७ उसिणोदए८ खारोदए९ खट्टोदए१० अंविलोदए११ लवणोदए१२ वारुणोदए१३ खीरोदए१४ घओदए१५ खोओदए१६ रसोदए१७, जे यावन्ने तहप्पगारा ते समासओ दुविहा पण्णत्ता तं जहा-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य । तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा एतेसिं वण्णदेसेणं गंघादेसेणं रसादेसेणं सहस्त. ग्गसो विहाणाइं । संखेन्जाइं जोणिप्पमुहसयसहस्साइं, पज्जत्तगणिस्साए अपजत्तगा वकमंति, जत्थ एगो तत्थ नियमा असंखेज्जा । से तं बायरआउकाइया। से तं आउकाइया।सू. १५॥ छाया-अथ के ते अप्कायिकाः ? अप्कायिका द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथासूक्ष्माप्कायिकाश्च बादराप्कायिकाश्च । अथ के ते सूक्ष्माप्कायिकाः ? सूक्ष्माप्का शब्दार्थ-(से किं तं आउकाइया) अपकायिक जीव कितने प्रकार के हैं ? (दुविहा) दो प्रकार के (पण्ण ता) कहे गए हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (सुहम आउकाइया य) सूक्ष्म अप्रकायिक और (बायर आउ. काइया य) बाद अप्कायिक (से किं तं सुहम आउकाइया) सूक्ष्म अप्कायिक कितने प्रकार के हैं (दुविहा पण्णता) दो प्रकार के कहे हैं हाथ-(से किं तं आउकाइया) २५५४५४ ०१ ४४॥ ४२ना छ ? (आउकाइया) अ५४ायि४ (दुविहा) मे १२नां (पण्णता) ४९सा छ (तं जहा) तमा २॥ रीते छ (सुहुम आउकाइवा) सूक्ष्म मयि भने (बायर आउ काइया य) ॥४२ २३. ४४ (से कि तं सुहुमआउकाइया) सूक्ष्म 24.04४ ८॥ २॥ छ ? (दुविहा શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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