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________________ प्रमेययोधिनी टीका प्र. पद १ सू.१४ जीवप्रज्ञापना २०३ कायिका अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा-पृथिवी च१ शर्करा२ वालुका च३ उपल:४ शिला च५ लवणम् ६ ऊष७। अय८ स्तानं९ त्रपुकं१० सीलकं११ रूप्यं१२ सुवर्ण च१३ वज्रश्व१४ ॥२॥ हरितालः१५ हिगुलकं१६ मनः शिला१७ सासकाजनप्रवालानि२०। अभ्रपटलम् २१ अभ्रवालुका२२ बादरकाये मणिविधानानि८॥२॥गोमेद्यकं च२३ रुचकः२४ अङ्कः२५ स्फटिकश्च२६ लोहिताक्षश्व२७। मरकतो२८ मसारगल्लो२९ भुजमोचकः३० इन्द्रनीलश्च३१ ॥३। चन्दनगौरि. कश्च३३ हंसगर्भ:३४ पुलकः३५ सौगन्धिकश्व३६ चन्द्रप्रभो३७ वैडूर्यो ३८ जल(तं जहा) वे इस प्रकार हैं (पुढयी य) पृथ्यी (सक्करा) शर्करा--रेत (बालुया य) और बालू (उचले) उपल-पाषाण (सिला य) शिला (अय) लोहा (तंब) तांबा (तउय) रांगा (सीसम) सीसा (रुप्प) चांदी (सुवन्ने य) सोना (वइरे य) वज्र-हीरा ॥१॥ __ (हरियाले) हडताल (हिंगुलए) हींगलू (मणोसिला) मैनसिल (सासग) पारा (अंजण) अंजन (पयाले) प्रवाल-मूंगा (अन्भपटल) अभ्रपटल (अन्भयालय) अभ्रवालुका (बायरकाए) बादर काय में (मणिविहाणा) मणियों के भेद ॥२॥ (गोमेजए य) गोमेद रत्न (रुयए) रुचक रत्न (अंक) अंक रत्न (फलिहे य) स्फटिक रत्न (लोहियक्खे य) लोहिताक्ष रत्न (मरगय) मरकत रत्न (मसारगल्ले) मसारगल्ल रत्न (भुयमोयग) भुजमोचक रत्न (इंदनीले य) इन्द्रनील रत्न ॥३॥ (चंदण) चन्दन रत्न (गेरुय) गैरिक रत्न (हंसगम्भ) हंसगर्भ भने प्र४।२॥ (पन्नत्ता) ४. छे (तं जहा) ते २॥ छ (पुढयीय) पृथ्वी (सक्करा) श४२१-२त (बालुयाय) मने पाणु (उवले) S५८-षा (सिला) शिमा (अय) सादु (तंब) तमु (तउय) २१॥ ४सा (सीसय) सीसु (रुप्प) यांही (सुबन्नेय) सोनु (वइरेय) १००-डी। ॥ १ ॥ (हरियाल) उतारा (हिंगुलए) हिमा (मणोसिला) मन:शा (सासग) पारे। (अंजण) मा (पवाले) प्रवास ५२वाणा (अब्भपटल) अ५८६ (अब्भवालुय) मनवायु। (बायरकाए) मा४२ यमा (मणिविहाणा) भाशुमान लेत. ॥ २ ॥ (गोमेज्जएय) गोभे २त्न. (रुयए) ३५४२त्न. (अंक) २त्न (फलिहेय) २२टि४ २त्न (लोहियक्खेय) सोडिताक्ष. २त्न (मरगय) भ२४ मा (मसारगल्ले) भसा२ गल्स २त्न (सुयमोयग) सु भाय: २त्न (इंदनीले य) छन्द्रनील रत्न (चंदण) यन्न २८ (गेरुय) गे३-२४ २त्न (हंसगब्भ) सन (पुलए) ५॥ २त्न (सोगंधिएय) सौगघि४ २त्न (बोद्धव्वे) on नये. શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧
SR No.006346
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1029
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size59 MB
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