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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३उ.३सू.४९ वानव्यन्तरदेवानां भवनादिकम्
_____७८१ कालस्य खलु पिशाचकुमारेन्द्रस्य पिशाच कुमारराजस्य 'अभितरियाए परिसाए' आभ्यन्तरिकायाम् ईशाभिधानायां पदि-सभायाम् ‘देवाणं अद्धपलिओवमं ठिई पत्नत्ता' देवानामर्द्धपल्योपमं स्थितिः प्रज्ञप्ता, तथा-'मज्झिमियाए परिसाए देवाणं' माध्यमिकायां पर्षदि देवानाम् ‘देमूणं अद्धपलिओवमं ठिई पन्नत्ता' देशोन-देश परिहीणम् अर्द्धपल्योपमं स्थितिः प्रज्ञप्ता, तथा-'बाहिरियाए परिसाए देवाणं' बाहूयायां पर्षदि देवानाम् 'साइरेग चउभागपलिीवमं ठिई पन्नत्ता' सातिरेकं चतुर्भागपल्योपमं स्थितिः प्रज्ञप्ता, एवम्-'अभितरियाए परिसाए देवीणं' आभ्यन्तरिकायां पर्षदि देवीनाम् 'साइरेगं चउभागपलिओवमं ठिई पण्णत्ता' सातिरेकं चतुर्भागपल्योपम स्थितिः प्रज्ञप्ता, तथा मज्झिमियाए परिसाए देवीणं' माध्यमिकायां पर्षदि देवीनाम् 'चउभागपलिओवमं ठिई पन्नत्ता' चतुर्भागपल्योपमं स्थिति: प्रज्ञप्ता, 'बाहिरियाए परिसाए देवीण' बाहूयायां पर्षदि देवीनाम् 'देसणं उत्तर में प्रभुश्री कहते है 'गोयमा ! कालस्स णं पिसायकुमारिदस्स पिसायकुमाररणो अभितरियाए परिसाए देवाणं अद्धपलिओवमं ठिई पन्नत्ता' हे गौतम ! पिशाचकुमारेन्द्र पिशाचराजकालकी आभ्यन्तरपरिषदा के देवों की स्थिति बध्यमान आयु आधे पल्योपमकी कही गई है। 'मज्झिमियाए परिसाए देसूणं अद्धपलिओम ठिई पन्नत्ता' मध्यमिका परिषदा के देवों की स्थिति कुछ कम आधे पल्योपमकी कही गई है और 'बहिरियाए परिसाए देवाणं साइरेगं चउभागपलिओवमं ठिई पन्नत्ता' वाद्यपरिषदा के देवों की स्थिति कुछ अधिक पल्यके चतुर्थ भागप्रमाण कही गई है। इसी प्रकार 'अभितरियाए परिसाए देवी णं' इत्यादि आभ्यन्तर परिषदा की देवियों की स्थिति सातिरेक चतुर्भागपल्योपम की हैं मध्यपरिषदा की देवियों की स्थिति चतुर्भाग पल्योपमकी कही प्रभुश्री गौतमस्वाभान ४ छ है 'गोयमा ! कालरस णं पिसायकुमारिदस्स पिसायकुमाररण्णो अभंतरियाए परिसाए देवाण अद्धपलिओवम ठिई पण्णत्ता' હે ગૌતમ ! પિશાચ કુમારેન્દ્ર પિશાચ કુમારરાજ કાલ ઈન્દ્રની આત્યંતર પરિ ષદાના દેવેની સ્થિતિ બદ્ધમાન અ યુ અર્થાપત્યે પમની કહેવામાં આવી છે. 'मज्झमियाए परिसाए देसूर्ण अद्धपलिओवम ठिई पण्णत्ता' मध्यम परिपहाना देवानी स्थिति ४४ साछी मर्धा पक्ष्या५भनी भने, 'बाहि रियाए परिसाए देवाणं साइरेग चउभागपलिओवम ठिई पण्णत्ता माह्य परिषहान वानी स्थिति ॐ पधारे ५८यना याथा भाग प्रमाण ४डत छे. मे प्रमाणे 'अब्मि' तरियाए परिसाए देवीण' त्या माध्यन्त२ परिषहानी लियोनी स्थिति साति રેક કંઈક વધારે ચતુભગ પપમની છે. મધ્યમાં પરિષદાની દેવિયેની સ્થિતિ
જીવાભિગમસૂત્ર