SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 792
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७८० जीवाभिगमसूत्रे न्तरिकायाम् ईशाभिधानायां पर्षदि 'देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' देवानां कियन्तं कालं स्थितिः-आयुष्यकालः प्रज्ञप्ता-कथिता, 'मज्झिमियाए परिसाए' माध्यमिकायां त्रुटिताभिधानायां पर्षदि 'देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता' देवानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता, तथा-'बाहिरियाए परिसाए ए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता' बाहायां दृढरथाभिधानायां पर्षदि देवानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता एवम्-'जाव बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णता' यावबाह्यायां पर्षदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता। अत्र यावत्पदसंग्राहूयः पाठो यथा-आभ्यन्तरिकायां पर्षदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता, माध्यमिकायां पर्षदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता, बाहायां पर्षदि देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्तेति प्रश्नः, भगवानाह-गोयमा।' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'कालस्स णं पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररण्णो' याए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता' हे भदन्त पिशाचकुमारेन्द्र पिशाचकुमारराज कालकी आभ्यन्तर परिषदा के देवों की स्थिति कितने कालकी कही गई है । 'मज्झमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता' मध्यमिका परिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है। 'बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता' बाहूयापरिषदा के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? इसी प्रकार से 'जाव बहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं काल ठिई पण्णत्ता' यावत् बाहूयपरिषदा की देवियों की कितने कालकी स्थिति कहो गई है ? यहां यावत्पद से आभ्यन्तर और मध्यमपरिषदा का प्रश्न अन्तर्गत है । अर्थात् आभ्यन्तरपरिषदा मध्यमिकापरिषदा और बाहूया परिषदा की देवियों की स्थिति कितने कालकी कही गई है। इसके परिसाए देवीण केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' लापन पिशायभारेन्द्र पिशायકુમારરાજ કાલની આભ્યન્તર પરિષદાના દેવની સ્થિતિ કેટલા કાળની કહેલ छ १ मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' मध्यभि: परिषद ना हेवानी स्थिति सा नी त छे १ 'बाहिरियाए परिसाए देवीण केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' माह्य परिषहाना हेवोनी स्थिति में अपनी डेवामा भावी छ ? ०८ शत 'जाव बाहरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता' यावत् माघ परिषहानी वियोनी स्थिति 21 अनी उस છે? અહિયાં યાવ૫દથી આભ્યન્તર અને મધ્યમ પરિષદા સંબંધી પ્રશ્ન સમજી લે અર્થાત આભ્યન્તર પરિષદા મધ્યમિકા પરિષદ અને બાહ્ય પરિષદાની દેવિયેની સ્થિતિ કેટલા કાળની કહી છે ? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006344
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages918
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size46 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy