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राजनी
मूलम् - तणं से सूरिया देवे तेसिं आभियोगियाणं देवाणं अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ट जाव हियए पायत्ताणियाहिवरं देवं सद्दावेह, सद्दावित्ता एयं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुपिया ! सूरियाभे विमाणे सुहम्माए सभाए मेघोघरसियगंभीर महुरसहूं जोयणपरिमंडलं सुसरघंट तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे २ महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणे २ एवं वयाहि - आणवेइ णं भो सूरियाभे देवे गच्छइ णं भो सूरियाभे देवे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पाए णयरोए अंबसालवणे चेइए समणं भगवं महावीरं अभिवंदित्तए, तुभेऽवि णं भो देवाणुप्पिया ! सव्विड्ढी ए जाव णाइयरवेणं णियगपरिवाल सद्धिं संपरिवुडा साई २ जाणविमाणाई दुरूढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सूरियाभस्स अंतिए पाउब्भवह || सू० ८ ॥
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छाया- - ततः खलु स सूर्याभो देवः तेषाम् आभियोगिकानां देवानामन्तिके aar gar निशम्य हृष्टतुष्ट यावद्धृदयः पदात्यनीकाधिपतिं देवं
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तणं से सूरिया देवे ' इत्यादि ।
सूत्रार्थ - (तरण से सूरिया देवे ) इसके बाद वह सूर्याभदेवे ( तेसिंआभियोगियाण देवाण अंतिए) उन आभियोगिक देवोंके पास से - सुख से (एयम सोच्चा) इस अनन्तरोक्त अर्थ को सुनकर (निसम्म) और उसे हृदय में अवधारण कर ( हट्ठतुड जाव हियए) बहुत अधिक हर्षित हुआ, संतुष्ट चित्त हुआ यावत् हर्ष से उसका हृदय भर गया. उसने उसी
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'तएण से सूरियाभे देवे ' इत्यादि ।
सूत्रार्थ - ( तणं से सूरियाभे देवे ) त्यार पछी ते सूर्यामहेव ( तेसिं आभियोगियाणं देवाण अतिए ) ते मालियोगिङ हेवानी पासेथी - भुथी - ( एयमेट्ठ सोच्चा ) मा प्रभाशेनी वात सांलजीने ( निसम्म ) अने तेने हृध्यमां भवधारित अरीने ( हट्टतुट्ट जाब हियए) भूमन वधारे दुर्ष याभ्यो, सतुष्ट थित्त વાળા થયેા યાવત્ હુથી જેનું હ્રદય તરખાળ થઈ ગયુ છે એવા તેણે તત્ક્ષણ
શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્ર : ૦૧