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________________ ४२६ राजप्रश्नीयसूत्रे प्रत्यवतटाः स्ववतारसूताराः नानामणितीर्थसुबद्धाः चतुष्कोणाः आनुपूर्व्यसुजातवप्रगम्भीरशीतलजलाः संछन्नपत्रविसमृणालाः बहूत्पलकुमुदनलिनसुभगसौगन्धिकपुण्डरीकशतपत्रसहस्रपत्रकेसरफुल्लोपचिताः षट्पदपरिभुज्यमानकमलाः अच्छविमलसलिलपूर्णाः प्रतिहस्तभ्रमन्मत्स्यकच्छपानेकशकुनमिथुनकप्रविचरिताः प्रत्येक हुए हैं (सुओयारसुउताराओ) इनमें प्रवेश करना और इनमें से बाहर निकलना बिलकुल सुलभ है (णाणामणितित्थसुबद्धाओ) इनके जो घाट बने हुए हैं वे नाना जातीय मणियों के बने हुए हैं ( चउकोणाओ) ये सब चार कोनों से युक्त हैं ( आणुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजलाओ) इनका जो जल के नीचे का स्थान हैं वह गंभीर एवं शैत्यगुणयुक्त जल से युक्त है ( संछन्नपत्तबिसमुणालाओ) इनमें जो पद्मपत्र, विस, मृणाल हैं वे सब जल से आच्छादित हैं (बहुउप्पलकुमुयनलिणसुभगसोगंधियपोंडरीयसयपत्तसहस्सपत्तकेसरफुल्लोबचियाओ ) केशरप्रधान एवं विकसित ऐसे अनेक उत्पलों से, नलिनों से, सुभगों से सौगन्धिकों से, पुण्डरीकों से, शतपत्रों से, एवं सहस्र पत्रों से ये युक्त है (छप्पयपरिभुज्जमाणकमलाओ, अच्छविमलसलिलपुण्णाओ) इनके कमल भ्रमरों से भुज्यमान-आस्वाद्यमान हैं। निर्मल और विमल सलिल से ये परिपूर्ण हैं। (पडिहत्थभमंतमच्छकच्छभअणेगसउणमिहुणगयविचारियाओ) अनेक इधर उधर चलते हुए मच्छ भने २५टि४ माणसाना समूथी मनेा छ (सुओयारसुउताराओ) मेमा Gत२७ तम ५६।२ मा ४६म स२॥ छ. (णाणामणितित्थसुबद्धाओ) એમના જે ઘાટો બનાવવામાં આવેલાં છે તે અનેક જાતીય મણિઓના બનાવवामां आवेता छ. ( चउक्कोणाओ) मा मा यतुथी युक्त छ. (आणुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजलाओ) मेमनुने पानी नीयनु स्थान मेटले तणयु छे ते गली२ अने तथा युक्त सेवा पाथी युत छ (संछन्नपत्तविसमुળાજાશો) એમાં જે પદ્મપત્રો, વિસમૃણાલે છે તે સર્વ પાણીથી આચ્છાદિત छ. ( बहुउप्पलकुमुयनलिणसुभगसौगंधियपोंडरीयसयपत्तसहस्सपत्तकेसरफुल्लोवचियाओ) કેશર-પ્રધાન અને વિકસિત અનેક ઉત્પલોથી, કુમુદેથી, સુભગથી સૌગંધિકોથી पुंडरी थी, शतपथी मने स४२५ोथी युत छ. (छप्पयपरिभुञ्जमाणकमलाओ, अच्छविमलसलिलपुण्णाओ) मेमना भणी प्रमाथा सुन्यमान-मास्वाधमानछ. मामे मिस मने निभ सलिल (५iel ) थी ५२पूर्ण छ. ( प्रडिहत्थभमतम શ્રી રાજપ્રશ્નીય સૂત્રઃ ૦૧
SR No.006341
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1990
Total Pages718
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size39 MB
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