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________________ सुबोधिनी टीका. सू. ६४ सूर्याभविमानवर्णनम् ४२५ तिसोवाणपडिरूवगा पण्णता तेसिणं तिसोवाणपडिरूवगाणं अय मेयारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, तं जहा--- वइरामया नेमा जहा तोरणाणं झया छत्ताइच्छत्ता य णेयव्वा ।। सू० ६४ ॥ छाया-तेषां खलु वनषण्डानां तत्र तत्र तस्मिन् तस्मिन् देशे बह्वयः क्षुल्लाः क्षुल्लिकाः वापिकाः पुष्करिण्यः दीर्घिकाः गुमालिकाः सरःपक्तिकाः सरःसरपतिकाः बिलपङ्गिकाः अच्छाः श्लक्ष्णाः रजतमयकूलाः समतीराः वज्रमयपाषाणाः तपनीयतलाः सुवर्णशुभ्ररजतवालुकाः वैडूर्यमणिस्फटिकपटल 'तेसिं णं वणसंडाणं' इत्यादि । सूत्रार्थ-( तेसिं णं वणसंडाणं ) उन वनषण्डों के ( तत्थ ) प्रत्येक स्थल में ( तर्हि २ देसे ) उस २ देशमें-एक एक स्थल के एक २ भाग में बहूईओ खुड्डाखुड्डियाओ वाचियाओ पुक्रवरिणीओ दीहियाओ गुंजालियाओ) अनेक छोटी २ वापिकाएं, पुष्करिणियां, दीपिकाएं, गुंजलिकाएं ( सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ, बिलपंतियाओ अच्छाओ, सण्हाओ, स्ययामयकूलाओ समतीराओ) सरश्रेणियां, सरःसराश्रेणियां, विलपंक्तियां, स्वच्छ, लक्ष्ण कही गई हैं, इनके कूल (तट) रजतमय हैं, (वयरामयपासाणाओ) इनके पाषाण वज्रमय हैं, ( तवणिज्जतलाओ) तल इनके तपनीय सुवर्ण के बने हुए हैं (सुवण्णसुब्भरययवालुयाओ) इनमें जो वालुका है वह सुवर्ण की एवं शुभ्ररजत की है (वेरुलियमणिफालियपडपच्चोयडाओ) उंचे २ जो इनके तट हैं वे वैडूर्यमणि और स्फटिकमणियों के समूह से बने 'तेसि णं वणसंडाणं' इत्यादि ।। सूत्र--( तेसि वर्णसंडाणं) ते पनषाना ( तत्थ २) ४२३ ४२३ २५मा (तहिं २ देसे ) १२३ स्थ मा हरे ४२४ सामi ( बहूईओ खुड्डा खुद्धि याओ वावियाओ पुक्खरिणीओ दीहियाओ गुंजालियाओ) all नानी नानी पावा, पुरिणामी, हर्षिामा गुलियो ( सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ, बिलपतियाओ अच्छाओ, सहाओ, रययमयकूलाओ समतीराओ) १२ः श्रेणी में, સરકસરત શ્રેણીઓ, બિલપંક્તિઓ. સ્વચ્છ ગ્લણ કહેવામાં આવી છે. એમના તટે, यांहाना छ तम ती२प्रदेश समतल छे. (वयरामयपासाणाओ) समता पाषाण। १०भय छे. (तवणिज्जतलाओ) मेमना त लामो तपनीय सुवा ना मनेसा छे. (सुवण्णसुब्भरययवालुयाओ) मा २ ३ती छ तमा नानी तथा यांनी छे. ( वेरूलियमणिफलियपडलपच्चोयडाओ) या या २ अमना तो छ ते वेडूय मशि શ્રી રાજપ્રક્ષીય સૂત્રઃ ૦૧
SR No.006341
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1990
Total Pages718
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size39 MB
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