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पीयूषवर्षिणी टोका सू. ९ अण्डुबद्धकादीनामुपपातविषये गौतमप्रश्न
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मलम-से जे इमे गामा-गर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा-सम-संबाह-सपिणवेसेसुमणुया भवंति,तंजहा-अंडुबद्धगा णियलबद्धगा हडिब
टीका-' से जे इमे' इत्यादि । ‘से जे इमे' अथ य इमे 'गामा-गरणयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा-सम-संबाह - सण्णिवेसेसु मणुया भवंति' ग्रामा–ऽऽकर-नगर-निगम-राजधानी-खेड-कर्बट-मडम्ब-- द्रोणमुख-पट्टणाऽऽ-श्रम-संबाध-सन्निवेशेषु मनुजा भवन्ति-ग्रामादयः प्राग व्याख्याताः, तेषु य इमे मनुष्या भवन्ति, 'तंजहा' तद्यथा- 'अंडुबद्धगा' अण्डुबद्धकाः-अण्डूनि अन्दुसे देव होते हैं वे ही जीव आराधक होकर नियम से, आगामी एक ही मनुष्य भव से अथवा परम्परा से सात आठ भव से मुक्ति का लाभ करनेवाले होते हैं, अन्य नहीं। परन्तु जो अकामनिर्जरा करके देवता होते हैं वे सभी निर्वागानुकूल भवान्तर प्राप्त करें ही यह नियम नहीं है । सू० ८ ॥
से जे इमे गामागर' इत्यादि ।
( से जे इमे ) जो ये जीव (गामा-गर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेडकब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणा-सम-संबाह-सण्णिवेसेसु मणुया भवंति ) ग्राम में, आकर में, नगर में, निगम में, राजधानी में, खेडे में, कर्बट में, मडम्ब में, द्रोणमुख में, पट्टण में, आश्रम में, संबाध में, एवं सन्निवेश में मानव की पर्याय से उत्पन्न होते हैं और वे किसी अपराधवश (अंडुबद्धया) लोह एवं काष्ठ के बंधनों से हाथ पैरों को बांधकर તેમજ સમ્યારિત્રપૂર્વક અનુષ્ઠાનથી દેવ થાય છે. તેજ જીવ આરાધક થઈને નિયમથી આગામી એક જ મનુષ્યના ભવથી અથવા પરંપરાથી સાતઆઠ ભવોથી મુક્તિને લાભ મેળવનાર થાય છે. પરંતુ જે અકામનિર્ભર કરીને દેવતા થાય છે તે નિર્વાણ–અનુકૂલ ભવાંતર પ્રાપ્ત કરે જ એ નિયમ नथी. (सू. ८)
'से जे इमे गामागर-' त्याहि.
(से जे इमे) 2 24॥ ७१ (गामा-गर-णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कब्बडमडंब-दोणमुह-पट्टणा-सम-संबाह-सण्णिवेसेसु मणुया भवंति) आभमां, मा४२मां, નગરમાં, નિગમમાં, રાજધાનીમાં, ખેડામાં, કર્બટમાં, મડંબમાં, દ્રોણમુખમાં, પાટણમાં, આશ્રમમાં, સંબધમાં, તેમજ સન્નિવેશમાં માનવની પર્યાયમાં ઉત્પન્ન