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________________ पीयूषवर्षिणो-टीका सू. ३० ध्यानभेदवर्णनम् २८७ २, परियट्टणा ३, धम्मकहा । धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-अणिचाणुप्पेहा १, असरणाणुप्पेहा २, एगत्ताणुप्पेहा ३, संसाराणुप्पेहा ४ । वाचना, २ 'पुच्छणा' प्रच्छना, ३–'परियट्टणा' परिवर्तना, ४-'धम्मकहा' धर्मकथा, 'धम्मस णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पण्णत्ताओ' धर्मस्थ खलु ध्यानस्य चतस्रोऽनुप्रेक्षाः प्रज्ञताः 'तं जहा तद्यथा-'अणिचागुप्पेहा' अनित्यानुप्रेक्षा=अनित्यचिन्तनिका, तथा चोक्तम् " कायः संनिहितापायः, संपदः दमापदाम् । समागमाः सापगमाः, सर्वमुत्पादि भङ्गुरम् ” ॥ १ ॥ इति ॥ वे इस प्रकार हैं-(वायणा) वाचना १, (पुच्छणा) प्रच्छना २, (परियट्टणा) परिवर्तना ३, (धम्मकहा) धर्मकथा ४ । इनका स्वरूप पीछे कह दिया गया है । (धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पण्णत्ताओ) धर्मध्यान की चार अनुप्रेक्षा कही हैं, (तं जहा) वे ये है-(अणिचाणुप्पेहा) अनिः नुप्रेक्षा-इसमें समस्त पौद्गलिक पदार्थों का अनित्यरूप से चिन्तवन किया जाता है; जैस कायः संनिहितापायः, संपदः पदमापदाम् । समागमाः सापगमाः, सर्वमुत्यादि भङ्गरम् ॥१॥ इस शरीर के पीछे अपाय-रोगा लगा हुआ है । इसलिये यह नष्ट होने वाला है । यह धनधान्यादि सम्पत्ति, आपत्तियों का स्थान है । क्यों कि इसीके कारण स्त्री, पुत्र, मित्र, स्वजन, परिजन और ग्रामजन आदि से शत्रुता होती है, लड़ाई होती है, अन्त में छे, (तं जहा) ते २१॥ ४ारे -(वायणा) वाय-aiय १, (प्रच्छना) प्रच्छनापु० २, (परियट्टणा) परिवतना-2वृत्ति ४२वी 3, (धम्मकहा) धर्मथा ४, सेभनु स्व३५ पाछ वा आयु. (धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पण्णत्ताओ) यमध्याननी या२ मनु प्रेक्षा ४डी छ;( तं जहा) ते २मा प्रमाणे छ-(अणिच्चाणुप्पेहा) नित्यानुप्रेक्षा-मामा समस्त पौड्गति पहानु અનિત્યરૂપથી ચિંતવન કરવામાં આવે છે. જેમકે – कायः संनिहितापायः, संपदः पदमापदाम् । समागमाः सापगमाः, सर्वमुत्पादि भङ्गरम् ॥ १॥ આ શરીરની પાછળ અપાય–ગ-આદિ લાગી રહેલા છે, તે માટે તે નાશ પામવાવાળું છે. આ ધનધાન્યાદિ–સંપત્તિ આપત્તિઓનું સ્થાન છે
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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