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________________ १८० औपपातिकसत्रे मूलम्-तेसिणंभगवंताणंआयावाया वि विदिता भवंति, परवाया वि विदिता भवंति, आयावायं जमइत्ता नलवणमिव टीका-'तेसि णं भगवंताणं' इत्यादि । तेषां खलु श्रीमहावीरशिष्याणां भगयतां संयमविभूषितानाम् ‘आयावाया वि' आत्मवादा अपि-स्वसिद्धान्तवादा अपिआर्हतवादा अपीत्यर्थः, विदिता-विज्ञाता भवन्ति, 'परवाया वि विदिता भवंति' परवादा भपि विदिता भवन्ति-परेषां-शाक्यादीनां वादाः-मतानि विदिता भवन्ति, स्वपरनिवृत्तिरूप सयममें ये सदा संलग्न रहते थे। (दंता) दान्त थे, अर्थात् इन्द्रिय और नोइन्द्रिय-मन के दमन करनेवाले थे । (इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरओकाउं विहरंति) ये मुनिजन- इसी निर्ग्रन्थ प्रवचनको आगे रखकर विचरते थे, अर्थात् इनकी सब प्रवृत्ति आगमानुकूल ही होती थी ॥ सू० २५ ॥ तेसि णं भगवंताणं' इत्यादि-- (तेसि णं भगवंताणं) भगवान् महावीर के संयम से विभूषित उन शिष्यों के ( आयावाया वि) आत्मवाद-स्वसिद्धान्तप्रतिपादित --आईतवाद भी (विदिता भवंति) विदित था, अर्थात् भगवान् महावीर के ये शिष्य स्वसिद्धान्त-प्रतिपादिततत्वों के पूर्ण ज्ञाता थे । ( परवाया वि विदिता भवंति ) तथा शाक्यादिको का क्या सिद्धान्त है, यह भी इन्हें विदित था। मतलब कहने का यह है कि ये मुनिजन स्वपरसिद्धान्त के पूर्णवेत्ता थे। ऐसा कोई भी सिद्धान्त नहीं था जो इनकी अर्थात् द्रिय भने नद्रियनु मन ४२वावा ता, (इणमेव णिगंथं पावयणं पुरओ काउं विहरंति) ते मुनिशन। २. निन्थ प्रयनने मागण રાખીને વિચરતા હતા, અર્થાત્ તેમની સર્વે પ્રવૃત્તિ આગમને અનુકૂળ જ यती ती. (सू. २५) 'तेसि णं भगवंताणं त्याहि. (तेसि णं भगवंताणं) सयमयी विभूषित मावान महावीरन ते शिष्यो ( आयावायावि) यात्मवाह-वसिद्धांत-प्रतिपादित तत्व-माता ५५ (विदिता भवंति) ngu ता, अर्थात् मावान महावीरन ते शिष्यो स्पसिriतप्रतिपादित तत्त्वाना स पूर्ण साता त. (परवायावि विदिता भवंति) તથા શાકય આદિકેને શું સિદ્ધાંત છે તે પણ તેઓ જાણતા હતા. કહેવાને મતલબ એ છે કે તે મુનિજને સ્વપર-સિદ્ધાંતના પૂર્ણ જ્ઞાતા હતા. એ કઈ પણ સિદ્ધાંત નહેત કે જે તેમની નજર બહાર હોય. હજુ તેઓ કેવા
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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