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औपपातिक
बोधं प्राप्तः । ' बोहर' बोधकः बुध्यमानान् अन्यान् भव्यजीवान् प्रेरयतीति बोधकः 'मुत्ते ' मुक्तः - अमोचि स्वयं कर्मपञ्जरादिति मुक्तः । ' मोयए' मोचकः - मुच्यमानानन्यान् भव्यजीवान् प्रेरयतीति मोचकः । ' सव्वष्णू ' सर्वज्ञः सर्वं सकलद्रव्यगुग-पर्यायलक्षगं वस्तुजातं याथातथ्येन जानातीति सर्वज्ञः । ' सव्वदरिसी ' सर्वदर्शी - सर्वं समस्तं पदार्थस्वरूपं सामान्येन द्रष्टुं शीलमस्याऽसौ सर्वदर्शी । 'सि' शिवं निखिलोपद्रवरहितत्वाच्छिवं कल्याणमयं स्थानमित्यस्य विशेष गमिदम् । शिवादीनां सर्वेषां द्वितीयान्तानामग्रेतनेन संपाविउकामे-इत्यनेन १ अयलं अचलं स्वाभाविकप्रायोगिकच लनक्रियाशून्यन् ।
' अरुयं
८०
,
सम्बन्धः ।
अरुजम् - अविधमाना रुजा यस्य
प्राप्त होने
बुद्ध हैं,
को
मुक्ति प्राप्त की, इसलिये
बोधक हैं, मुक्त हैं ।
जीवों को उन्हों ने
तारक हैं । (बुद्रे) स्वयं बोध को ( बोहए ) बुध्यमान अनेक भव्य जीवों (मुत्ते) भगवान ने स्वयं कर्मरूपी पींजरे से ( मोयगे ) और कर्मरूपी पींजरे से मुक्त होने की इच्छावाले मुक्त किया इसलिये वे मोचक हैं । ( स ) सकलद्रव्यों के समस्त गुण और पर्यायों को युगपत् हस्तामलकवत् यथार्थ जानने से प्रभु सर्वज्ञ हैं । ( सन्दरिसी) तथा सामान्यरूप से त्रिकालवर्त्ती समस्त द्रव्यों के इष्टा होने से प्रभु सर्वदर्शी हैं । ( सित्र - मयल-मरुय-मगंत - मक्वय - मव्त्रावाह - मपुणरावत्ति सिद्धिगणामधेयं ठाणं संपाविउकामे ) निखिल उपद्रव रहित होने से शिव - कल्यागमय, स्वाभाविक एवं प्रायोगिक चलनक्रिया से शून्य होने के कारण अचल, शरोर तथा मन से
के
प्रेरित करने से वे
कारण भगवान्
પ્રેરિત કર્યા તેથી તે તારક छे. ( बुद्धे ) पोते मोघ पामेला होवाना अरगे भगवान युद्ध छे. ( बोहए ) मुध्यमान भने लय भवने मोघ भाटे प्रेरित रखाथी तेथे मोघ है (मुत्ते) लगवाने पोते उम३यी पांरांभांथी भुक्ति प्राप्त उरी तेथी तेयो भुत छे. ( मोयगे) भने उर्भ - રૂપી પીંજરામાંથી મુકત થવાના ઈચ્છાવાળા જીવાને તેઓએ મુકત કર્યા તેથી तेथेो भाय: छे. ( सव्वण्णू) सस द्रव्यों (पद्वार्थोना) समस्त गुण भने પર્યાયાને યુગપત્ હસ્તામલકવત્ યથાર્થરૂપે જાણવાથી પ્રભુ સર્વજ્ઞ છે. - ( सव्वदरिसी) तथा सामान्य उपश्री त्रिवर्ती समस्त द्रव्योना द्रष्टा होवाथी પ્રભુ સદ छे. (सिव-- नवल - मरुयमणंत - मक्खय- मव्वाबाह-मपुणरावत्ति सिद्धिगणामधेयं ठाणं संपाविउकामे) सण उपद्रव रहित होवाथी शिव= दयाशुમય, સ્વાભાવિક તેમજ પ્રાયેાગિક ચલન ક્રિયાથી શૂન્ય હેાવાના કારણે અચલ,