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विपाकश्रुते
बहवे पुरिसा' अन्ये च तत्र बहवः पुरुषाः 'दिण्णभइभत्तवेयणा' दत्त भृति भक्तवेतनाः, इदमसकृद्वयाख्यातम् 'वह वे अये जावमहिसे य' बहूनजांश्च यावद् महिषांश्च 'सारक्खमाणा' संरक्षन्तः, 'संगोवेमाणा चिटुंति' संगोपायन्तस्तिष्ठति। 'अण्णेय से बहवे पुरिसा' अन्ये च 'से' तस्यछनिकछागलिकस्य, बहवः पुरुषा 'अयाण य जाव जूहाणि य' अजानां यावद् महिषाणां यूथानि 'गिहंसि' गृहे 'संण्णिरुद्वाई' संनिरुद्धानि 'किच्चा' कृत्वा 'चिटुंति' तिष्ठन्ति । अण्णेय से बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य, अन्ये च तस्य बहवः पुरुषा दत्तभृत्तिभक्तवेतनाः बहून् अजान् यावद महिषांश्च, 'जीवियाओ ववरो विति' जीविताद् व्यपरोपयन्ति-जीवितात् पृथकुर्वन्ति-मारयन्तीत्यर्थः। 'ववरोवित्ता' व्यपरोप्य मारयित्वा, 'मंसाई' मांसानि 'कप्पणीकप्पियाई' पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा' इसके पास और दूसरे अनेक पुरुष काम करते थे। यह कसाई उन्हें उनकी नौकरी के उपलक्ष्य में भोजन एवं वेतन प्रदान करता था । 'बहवे अए य जाव महिसे य' इसमें कितनेक नौकर चाकर उन सब ही बकरों से लेकर महिषों तक के समस्त जानवरों की 'सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिटुंति' रक्षा करते थे, सार-संभाल करते थे । 'अण्णे य से बहवे पुरिसा' कितनेक उसके पुरुष-नौकर चाकर 'अयाण य जाव जहाणि य' उन समस्त अजादिक जानवरों के समूहों को 'गिहंसि उनके अपने२ स्थानों में सण्णिरुद्धाई किच्चा चिट्ठति' बंद किये हुए रहते थे। 'अण्णे य से वहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा' एवं दूमरे कई नौकर चाकर कि जिन्हें इसकी ओर से भोजन एवं वेतन प्राप्त होता था वे 'बहवे अए य जाव मोहसे य जीवियाओ ववरोविंति' बहुत से उन अजादि से लेकर महिषों तक 'अण्णे य तत्थ बहवे पुरिसा दिणभइभत्तवेयणा' तेनी पासे भी अन भास કામ કરતા હતા, તે કસાઈ તે માણસની નોકરીના પગારમાં તેમને ભેજન અને पैसा भापतो तो. 'बहवे अए य जान महिसे य' ते नारामा ४ ना४२। ते तमाम ५४थी सघने पा सुधीनां तमाम बतानपनी 'सारक्खमाणा संगावेमाणा चिठंति' २६॥ ४२ता. सार संभाल ४२ता. Cal, 'अण्णे य से बहवे पुरिसा' 3281 तेना नौ२-२४२ 'अयाण य जाव जूहाणि य त तमाम ५४२ मा
नवना सभूडाने 'गिहंसि' पात-पाता। स्थानमा 'सणिरूदाई किच्चा चिट्ठति ' ५५ शने २ता हता, 'अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा' બીજા કેટલાક નોકરો કે જેમને કસાઈ તરફથી ભોજન અને પગાર મળતું હતું તેવા 'बहवे अए य जाव महिसे य जीवियाओ ववरोविति' ध १४२५ माथा
શ્રી વિપાક સૂત્ર