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प्रश्नव्याकरणसूत्रे स्वभावः १३, ' महट्टी' महातिः, महा:कारणत्वात् १४, ' उवकरणं ' उपकरणंसामग्री १५, 'संरक्खणय' संरक्षणा च-शरीरादीनां संरक्षणमित्यर्थः १६, 'भारो' भारः-अष्ट कर्मभारकारणम् १७, 'संपायुपायगो' संपातोपायकः-संपातानादुर्गतौ प्रस्थितानाम् उपायको मार्गभूतः१८, 'कलिकरंडो' कलिकरण्ड:-कलीनां= कलहानां करण्ड इवपात्रविशेष इव कलिकरण्डः १९, 'पवित्थरो' प्रविस्तरःधनधान्यादिविस्तारः २०, 'अणत्थो ' अनर्थः-अनर्थकारणत्वात् २१, 'संथवो' है, इसलिये यह परिग्रह लोभात्मा लोभ स्वभाव है १३ । इस परिग्रह से जीव को बड़ी से बड़ी आर्तियों का सामना करना पड़ता है अतः उन आर्तियों का करण होने से यह परिग्रह महार्तिरूप है १४। इस परिग्रह के प्रभाव से ही विविध प्रकार की सामग्री जीव एकत्रित करता है अतः इसका नाम उपकरण है १५ । परिग्रही जीव अपनेशरीर आदि पदार्थों की रक्षा करने में विशेष सावधान रहता है। इसलिये इसका नाम संरक्षण है १६ । परिग्रही जीव के परिणामों की संक्लेशता के कारण अष्टविध कर्मों का बंध बहुत तीव्र होता है इसलिये इसका नाम भार है १७ । परिग्रही जीव का पतन दुर्गति में होता है अतः दुर्गति में पतन होने का यह मार्गभूत है इसलिये इसका नाम संपातोपायक है १८ । परिग्रही जीव के अनेक शत्रु उत्पन्न हो जाते है हर एक के साथ कलह आदि होने लगते हैं इसलिये यह परिग्रह कलहों का एक प्रकार का करण्डपिटारा है-इसलिये इसका नाम कलहकरण्ड है १९ । परिग्रही जीव अपने धन धान्य आदि पदार्थो का विस्तार करने પરિગ્રહ લેભાત્મા લેભ સ્વભાવ છે. (૧૪) આ પરિગ્રહને લીધે જીવોને મોટામાં મોટી આફતને સામને કરે પડે છે, તેથી એ આર્તિ (આફત) નું કારણ હોવાથી તે પરિગ્રહ મહાતિરૂપ છે (૧૫) તે પરિગ્રહના પ્રભાવથી જ વિવિધ પ્રકારની सामग्री वसत्रित ४२ छ, तेथी तेनु नाम' उपकरण ' छे. (१६) परियडी જીવ પિતાના શરીર આદિ પદાર્થોના રક્ષણ માટે વધારે સાવચેત રહે છે, तेथी तेनु नाम 'संरक्षण' छ. (१७) परियडी नी वृत्तिमान सथितતાને કારણે અષ્ટવિધ કર્મોને બંધ ઘણે જ તીવ્ર હોય છે, તેથી તેનું નામ 'भार' छे. परिघडी ०१ गतिमा ५ छ. गतिमा पतन ४२॥१वाना २।९३५ डावाने ॥२तेनु नाम 'संपातोपायक' छ. (१६) परियडी पना અનેક શત્રુઓ પેદા થાય છે. દરેકની સાથે તેને કલહ આદિ થયા કરે છે. તે કારણે ને પરિગ્રહ કલહાના એક પ્રકારના કરંડિયા જેવો હોવાથી તેનું નામ 'कलहकरण्ड' छे. (२०) परियड ७१ पोताना धन धान्य माहि पानी
શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર