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________________ ११८ २३ नारकीय जीव क्या २ कहते हैं वह वर्णन १०६-१०८ २४ परमाधार्मिक नारकीय जीवों के प्रति क्यार करते है उनका कथन १०९-११० २५ वेदनाओं से पीडित नारक जीवों के आनंद का निरूपण १११-११७ २६ परमाधार्मिकों के द्वारा की गई यातनाओं के प्रकार का निरूपण २७ यातना के विषय में आयुधों (शस्त्रों) के प्रकारों को निरूपण ११९-१२१ २८ परस्पर में वेदना को उत्पन्न करते हुए नारकी यों कि दशा का वर्णन १२२-१२७ २९ नारक जीवों के पश्चात्ताप का निरूपण १२८-१३० ३० तिर्यग्गति जीवो के दुःखों का निरूपण १३१-१३६ ३१ चतुरिन्द्रिय जीवों के दुःख का निरूपण १३७-१३८ ३२ त्रिन्द्रिय जीवों के दुःख का निरूपण १३९ ३३ द्विन्द्रिय जीवों के दुःख का वर्णन ३४ एकेन्द्रिय जीव के दुःख का वर्णन १४१-१४४ ३५ दुःखों के प्रकार का वर्णन १४५-१५१ ३६ मनुष्यभव में दुःखों के प्रकार का निरूपण १५२-१६३ दूसरा अध्ययन ३७ अलीकवचन का निरूपण १६४-१६८ ३८ अलीकवचन के नाम का निरूपण १६९-१७४ ३९ जिस भाव से अलीक वचन कहा जाता है उसका निरूपण १७५-१७९ ४० नास्तिकवादियों के मत का निरूपण १८०-२०५ ४१ अन्य मनुष्यों के मृषाभाषण का निरूपण २०६-२१४ ४२ मृषावादियों के जीव घातक वचन का निरूपण २१५-२४१ ४३ मृषावादियों को नरक प्राप्तिरूप फलप्राप्ति का वर्णन २४२-२५२ ४४ अलीक वचन का फलितार्थ निरूपण २५३-२५६ तीसरा अध्ययन ४५ अदत्तादान के स्वरूप का निरूपण २५७-२६१ શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર
SR No.006338
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1010
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_prashnavyakaran
File Size57 MB
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