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________________ ४६ अदत्तादान के तीस नामों का निरूपण ४७ पञ्चम अन्तरगत तस्करों (चोरों) का वर्णन ४८ परधनलुब्ध राजाओं के स्वरूप का निरूपण ४९ परधन में लुद्व राजाओं के संग्राम का वर्णन ५० अदत्तादान (चोरी) के प्रकार का निरूपण ५१ सागर के स्वरूप का निरूपण ५२ तस्कर के कार्य का निरूपण ५३ अदत्तादान के फल का निरूपण ५४ चोर लोक क्या फल पाते है उनका निरूपण ५५ अदत्तग्राही चोर कैसे होकर कैसे फल को पाते है उनका निरूपण ५६ अदत्ताग्राही चोर जिस फल को पाते है उसका निरूपण ५७ अदत्तग्राही चोर की परलोक में कौन गति होती है उनका निरूपण ५८ जीव ज्ञानावरण आदि अष्टविध कर्मों से बंधदशाको प्राप्तकर संसारसागर में रहते हैं इस प्रकार का संसारगागर के स्वरूप का निरूपण ५९ किस प्रकार के अदत्ताग्राही चोरों को किस प्रकार का फल मिलते है उनका निरूपण ६० तीसरे अध्ययन का उपसंहार चोथा अध्ययन ६१ अब्रह्म के स्वरूप का निरूपण ६२ अब्रह्म के नामों का और उसके लक्षणों का निरूपण ६३ मोह से मोहित बुद्धिवालों से अब्रह्म के सेवन के प्रकारों का निरूपण ६४ चक्रवदिकों का और उनके लक्षणों का वर्णन ६५ बलदेव और वासुदेव के स्वरूप का निरूपण ६६ अब्रह्म सेवी कौन होते है ? उनका निरूपण શ્રી પ્રશ્ન વ્યાકરણ સૂત્ર २६४-२६९ २७०-२७५ २७६-२८२ २८३-२९६ २९७-३०१ ३०२-३०६ ३०८-३१७ ३१८-३२२ ३२३-३३० ३३१-३४६ ३४७-३५४ ३५५-३६० ३६१-३७७ ३७८-३८६ ३८७-३९० ३९१-३९५ ३९६-४०० ४०१-४०३ ४०४-४१९ ४१९-४४३ ४४३-४४४
SR No.006338
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1010
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_prashnavyakaran
File Size57 MB
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