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ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्रे शिबिकासु दुरुढं-समारूढं सत् मित्रज्ञातिपरिवृतं स्थापत्यापुत्रस्य अन्तिके समोपे प्रादुर्भूतम् उपस्थितम् । ततः खलु स कृष्णवासुदेवोऽन्तिके 'पाउन्भवमाणं' प्रादुर्भवत् पुरुषसहस्रं पश्यति, दृष्ट्वा कौटुम्बिकपुरुषान्आदेशकारिणः पुरुषान शब्दयति, शब्दयित्वा एवं वक्ष्यमाणप्रकारेण अवादीत्-यथा मेघस्य निष्क्रमणाभिषेकः, तथैव 'सेयापीएहि श्वेतपीतैः जलपूर्णरूप्यसुवर्णमयैः कलशैः कृष्णवासुदेवः दीक्षोत्सुकं पुरुषसहस्रसहितं-स्थापत्यापुत्रं स्नपयति, स्नपयित्वा यावद्सलिङ्कारविभूषितं कृत्वा पुरुषसहस्रवाहिनीं शिविकामारोह्य कृष्णवासुदेवः द्वारावतीनगरीमध्यभागेन गत्वा-अर्हतोऽरिष्टनेमे छत्रीपरिच्छत्रं छत्रत्रयं, पताकातिपताकां-पताकोपरिपताकां पुरुषवृन्दैः सह पश्चति । 'विज्जाहरचारणे' विद्याधरचारणान् विद्याधरान्= मुह) निष्क्रमण के सन्मुख हो गये अर्थात् दीक्षित होने के लिए तैयार हो गये (हायं ) उन्होंनेस्नात करके ( सव्वालंकरविभूसियं) सब प्रकार के अलंकारो से अपने २ शरीर को विभूषित किया (पत्तेयं २पुरिससहस्सवाहिणीसु सिबियाप्लु दुरुढं समाणं मित्तणाइपरिवुडं ) बाद में मित्रा दि परिजनों से युक्त हुआ प्रत्येक व्यक्ति उन मेंसे १ हजार पुरूषों को वहन करनेवाली शिबिकापर आरूढ होकर ( थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउब्भूयं ) स्थापत्या पुत्र के पास आया । (तएणं से कण्हे वासुदेवे पुरिससहस्समंनियं पाउन्भवमाणं पासइ ) जब कृष्ण वासुदेव ने पुरुष सहस्रको स्थापत्यापुत्र के पास आया हुआ देखा ता (पासित्ता कोडुंबिय पुरिसे सद्दावेइ) देखकर उन्होंने कौटुंबिक पुरूषों को खुलाया (सदावित्ता एवं वयासो) बुलाकर उनसे ऐसा कहा-(जहा मेहस्स निक्खमणाभिसेओ तहेव सेया पीएहिं हावेइ, पहावित्ता जाव अरहओ अरिष्टनेमिस्स छत्ताइच्छत्तं पडागाइपडागं पासइ - पासित्ता मणाभिमुह ) निष्ठभएY ( Elan ) भाटे या२ थया. ( हाय ) ते नाया, ( सव्वाल करविभूसिय) ५धी तनां घरेलमाथी तमने पोताना शरी२ शणगार्या. (पत्तेय २ पुरिससहस्सबाहिणीसु सिवियासु दुरूद समाण मित्तणाई परिवुड ) त्या२ माह मित्र वगैरे पशिनानी साथे तमामाथी १२४ दीक्षार्थी मे १२ पुरुषोन ४२ सेवी तभी 6५२ सवार थधने ( थावच्च। पुत्तस्स अंतिय पाउन्भूय ) स्थापत्या पुत्रनी पासे माव्यो. (तएण' से कण्हे वासुदेवे पुरिससहस्समंतिय पाउन्भवमाण पासइ) वासुदेव न्यारे १२ पुरुषाने स्था५साधुत्रने त्या मावेस या (पासित्तां कोडुबिय पुरिसे सहावेइ ) भागे
मि पुरुषाने माताव्या. ( सदा वित्ता एव वयासी) मोसावीन तेमने पु. ( जहा मेहस्स निक्खमणाभिसे ओ तहेव सेयापीएहिं पहावेइ पहावित्ता जाब अरहओ अरिदुनेमिस्स छत्ताइच्छत पडागाइपडाग पासइ पासित्ता विज्जा
શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્ર: ૦૨