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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका अ० ८ जितशत्रुनृपवर्णनम् स्थानाद् वा इह हव्यमागतः ?, ततः खलु स सामुद्रको द१रः तं कूपदर्दुरमेवं= वक्ष्यमाणप्रकारेण, अवादीत्-हजितशत्रुनृपवर्णनम् सामुद्रको ददुरः समुद्रनिवासी मण्डूकोऽस्मि । ततः खजु स कूप दर्दुरस्तं सामुद्रं दर्दुरमेवमवादीत- के महालए' कियन्महालया कियान विशालः खलु हे देवाणुप्रिय ! स समुद्रः ?, ततस्तदनन्तरं खलु स सामुद्रो दर्दुरस्तं कूपदर्दुरमेवमवादीत् महालयः अति विस्तीर्णः,खलु देवासे कूवदद्दुरे तं सामुद्दददुरं एवं वयासी) इस प्रकार की मान्यता वाले उस मेढ़क के कुएपर उसी समय में कोई दूसरा समुद्र में रहने वाला मेंढक आगया-उसे आया हुआ देखकर कूप के मेढक ने उस समुद्र निवासी मेढक से कहा-(से केसणं तुमं देवाणुप्पिया ! कत्तो वा इह हव्यमागए ?) हे देवानुप्रिय ! यह तुम कौन हो-इस समय कहां से आरहे हो ? (तएणं से सामुद्दे दद्दुरे तं कूवदुरं एवं वयासी प्रत्युत्तर में उस समुद्र निवासी मेंढक ने उस कूप मेंढक से ऐसा कहा ( एवं खलु देवाणुप्पिया! अहं सामुद्दए दद्दुरे) हे देवानुप्रिय ! मैं समुद्र का रहने वाला मेंढक हूँ (तएणं से कूव दद्दुरे तं सामुद्दयं दडुरं एवं वयासी ) उस के ऐसे वचन सुन कर कूप मेंढक ने उस समुद्र के निवासी दुरे से इस प्रकार पूछा ( के महालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ? ) हे देवानुप्रिय वह समुद्र कितना बड़ा हैं ? (तएणं से सामुद्दए दद्दुरे तं कूबददुरं एवं वयासी ) प्रत्युत्तर में उस समुद्र निवासी दर्दुर ने उस से ऐसा कहा-( एवं खलु देवाणुप्पिया महालएणं સંકુચિત વિચાર ધરાવતા કૂવાના દેડકાની પાસે બીજે કઈ સમુદ્રમાં રહેનારો દેડકે આવ્યું. તેને આવેલે જઈને કૂવાના દેડકાએ સમુદ્રના દેડકાને કહ્યું – (से केसणं तुम देवाणुप्पिया! कत्तो वा इह हव्वमागए ?) वानुप्रिय ? तमे । छ। ? सत्यारे तमे ज्यांथी मावो छ। ? (तएणं से सामुद्दे दद्दुरे त कूबददुरं एवं वयासी) पाम ते समुद्रमा २ना। ४१ वाना ३४ाने या प्रमाणे धुंडे ( एवं खलु देवाणुप्पिया ! अहसामुद्दए ददुरे) 3 हवानुप्रिय ! समुद्रमा २3ना। हे। छु ( तएणं से कूबद्दुरे त सामुद्दय दद्दुरं एवं वयासी) तेनी ॥ प्रमाणे पात सजीवाना आये ते समुद्रमा २ना। ४ाने ॥ प्रमाणे धुं है (के महालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे १)
वानुप्रिय १ ते समुद्र सो माटो छ ? ( तएण से सामुद्दए दद्दुरे त कूवदुरं एवं वयासो) मम समुद्रनामे तेने या प्रमाणे ह्यु
( एवं खलु देवाणुप्पिया, महालए णं देवाणुप्पिया ! समुद्दे, तएण से ददरे
શ્રી જ્ઞાતાધર્મ કથાંગ સૂત્રઃ ૦૨